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________________ ૨૮૯ - ઉપયોગી મંત્રસંગ્રહ चत्तारि लोगुत्तमा ।:: . अरिहंता लोगुत्तमा । ....... सिद्धा लोगुत्तमा । ..... साहू लोगुत्तमा । केवलिपन्नत्तो धम्मो लोगुत्तमो ॥ . ..... चत्तारि सरणं पवजामि । . . ... अरिहंते सरणं पवज्जामि । सिद्धे सरणं पवज्जामि । : .... .... साहू. सरणं पवज्जामि . . . . . . . केवलिपन्नत्तं धम्म सरणं पवज्जामि ॥ . (७८) ॐ अर्ह नमः । .. ............ (७८) ॐ ही. अर्ह नमः । .. ... ...... (८०) ॐ ही श्री अर्ह नमः ।... .. (८१) ॐ अ सि आ उ सा नमः ।. ..... (८२) ॐ अहं अ सि आ उ सा नमः । (८3) ॐ ही श्री अर्ह अ सि आ उ सा नमः ।। (८४) ॐ हा ही हूँ ह्रौं हः अ सि आ उ सा नमः । (८५) ॐ ऐं ही श्री क्ली ॐ अ सि आ 8 सा नमः ... (त्रिभुवनस्वामिनी विद्या).... (८६) ॐ ही अर्ह. अ सि आ उ सा क्ली नमः ।। (८७) ॐ हीं वरे सुवरे असि आ उ सा नमः। (८८) ॐ अरिहंत-सिद्ध-आयरिय-उवझाय-साहू। .. .(८८) ॐ अरिहंत-सिद्ध-सयोगिकेवली स्वाहा । (६०) ॐ हाँ ही हूँ हूँ है हैं ह्रौ हूँ: असि आ उ सा ज्ञानादर्शन-चारित्रेभ्यो नमः । (श्री ऋषिभसना भूभत्र) ..... १८..
SR No.011618
Book TitleJap Dhyan Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah
PublisherAradhana Vastu Bhandar
Publication Year1974
Total Pages477
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
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