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________________ ३५६. . . . . आचारागसूत्रे स्यात् तदा सर्वघातिनो मिथ्यात्वस्य कपायद्वादशकस्य चाभ्युदये यथा जघन्यमपि सम्यक्त्वं देशसंयमः सर्वसंयमश्च नोपलभ्यते, तथा वीर्यान्तरायस्योदयेऽपि जघन्यमपि वीर्यगुणं नोपलभ्येत, न चैव भवति, तस्मात् वीर्यान्तरायप्रकृतिरपि देशघातिनीति सिद्धम् । अघातिप्रकृतयः- . अघातिन्यः प्रकृतयः पञ्चसप्ततिः सन्ति । तथाहि-प्रत्येकं प्रकृतयः पराघातो?-वासा२-ऽऽतपो३-धोता४-गुरुलघु५-तीर्थकर६-निर्माणो-पघात८रूपा अष्टौ सन्ति । (१) औदारिकं, (२) वैक्रियम् , (३) आहारकं, (४) तैजसं, (५) कार्मणं चेति पञ्च शरीराणि ५। त्रीण्युपाङ्गानि३ । षट् संस्थानानि६ । षट् संहनजैसे बारह कषायों का उदय होने पर देशविरति और सर्वविरति, एक देश से भी नहीं होती उसी प्रकार वीर्यान्तराय कर्म का उदय होने पर लेशमात्र भी वीर्यगुण प्रकट नहीं होने चाहिए, मगर ऐसा नहीं होता, अतः यह सिद्ध हुआ कि वीर्यान्तराय प्रकृति भी देशघाती ही है। __. अघाती प्रकृतियांअघाति प्रकृतिया पचहत्तर ७५ हैं, वे इस प्रकार-(१) पराघात, (२) उच्वास, (३) आतप, (४) उद्योत, (५) अगुरुलघु, (६) तीर्थकर, (७) निर्माण, (८) उपधात, ये आठ प्रत्येक प्रकृतियां अघाती है८ । औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तेजस, और कार्मण शरीर, ये पांच शरीर अघाती प्रकृतिया हैं १३ । तीन उपाङ्ग१६, छह संस्थान२२,. બાર કષાને ઉદય થવા સમયે દેવવિરતિ અને સર્વવિરતિ એકદેશથી પણ હોય નહી; તે પ્રમાણે વર્યાન્તરાય કર્મને ઉદય થતાં લેશમાત્ર પણ વીર્યગુણ પ્રગટ થ નહી જોઈએ, પરંતુ એ પ્રમાણે થતું નથી, એ કારણથી સિદ્ધ થયુ કે-વર્યાન્તરાય પ્રકૃતિ પણ દેશઘાતીજ છે. ___मघाती प्रतिमा___ मघाती प्रतिमा यात२ (७५) छे. ते २मा प्रभारी छ:-(१) ५राधात, (२) स; (3) मात५, (४) धोत, (५) २५४३०धु, (६) ती4'४२, (७) निर्माण, (८) Guard, मा भार प्रत्ये प्रतिमे। अघाती छे. (१) मोहारि, (२) वैठिय, (3) मा २४, (४) तस. भन (५) धर्म शरीर, या पांय शरीर मघाती प्रतिमा छे; (१३) Y Guin, (१६) ७ संस्थान, (२२) ७६ खनन, (२८) पाय जतिसा, (33) या२ गति, ३७ मे विडाया.
SR No.011616
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
Publication Year1958
Total Pages801
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size35 MB
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