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________________ १६६ आचारागसूत्रे यया संज्ञयाऽऽत्मनो गत्यागत्यादिकं जीवो जानाति तस्या एव प्रतिषेधो विवक्षितः। अथ संज्ञाभेदाःसंज्ञा च जीवानां बहुविधा । तत्र-दशविधा भगवतीसूत्रे ( शतक-७, उद्देश ८ ) प्रोक्ता ___“ कइ णं भंते ! सन्नाओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! दस सन्नाओ पन्नत्ताओ, तंजहा-(१) आहारसन्ना, (२) भयसन्ना, (३) मेहुणसन्ना, (४) परिग्गहसन्ना, (५) कोहसन्ना, (६) माणसन्ना, (७) मायासन्ना, (८) लोभसन्ना, (९) लोगसन्ना, (१०) ओहसन्ना" इति। जिस संज्ञा के द्वारा आत्मा की गति और आगति जीव जानता है, यहाँ उसीका निषेध समझना चाहिए। संज्ञा के भेदजीवों की संज्ञा अनेक प्रकार की होती है । भगवतीसूत्र ( श० ६, उ० ८, में दश प्रकार की सज्ञा कही गई है, वह इस प्रकार है प्रश्न-भगवान् ! संज्ञाएँ कितनी कही गई है। उत्तर-गौतम ! दश संज्ञाएँ कही गई है । वे इस प्रकार है-- (१) आहार-सज्ञा, (२) भय-संज्ञा, (३) मैथुन-संज्ञा, (४) परिग्रह-संज्ञा, (५) क्रोध-संज्ञा (६) मान-संज्ञा, (७) माया-संज्ञा, (८) लोभ-संज्ञा, (९) लोक-संज्ञा और (१०) ओघ-संज्ञा। - જે સંજ્ઞા દ્વારા આત્માની ગતિ અને આગતિ જીવ જાણે છે. અહિં એને નિષેધ સમજ જોઈએ સંજ્ઞાના ભેદ– જીની સંજ્ઞા અનેક પ્રકારની હોય છે. ભગવતી સૂત્ર (શ. ૬. ઉં. ૮)માં દસ પ્રકારની સંજ્ઞાઓ કહેવામાં આવી છે. તે આ પ્રમાણે છે -लगवान ! संज्ञामा टसी ही छ ? ઉત્તર-ગૌતમ! દસ સંજ્ઞાઓ કહી છે તે આ પ્રમાણે છે (१) PAIR-सना (२) मय-संज्ञा (3) भैथुन-सना, (४) परिश्र-सज्ञा. (५) आध-ना (6) भान-सज्ञा (७) भाया-संज्ञा (4) हाम-संज्ञा (6) alसंज्ञा मने (१०) साध-संज्ञा.
SR No.011616
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
Publication Year1958
Total Pages801
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size35 MB
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