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________________ - आचारागसूत्रे कालस्य लक्षणम्स्वभावतो विद्यमानानां पदार्थानां या विद्यमानताख्या वर्तना, तां प्रति सहकारिकारणत्वं कालस्य लक्षणम् । अनेनैवाशयेन भगवताऽप्युक्तम्- "वट्टणालक्षणो कालो" इति, वर्तनालक्षणः कालः, इति च्छाया । वर्तना, लक्षण कार्यत्वेन प्रत्यायकं, यस्य स वर्तनालक्षणः, वर्तनाकार्यानुमेयः काल इत्यर्थः । अत्र वर्तनेत्युपलक्षणं परिणामक्रियापरत्वापरत्वादीनाम् । परिणामो हि वस्तूनां नोपपद्यते कारणं नियामकमन्तरेण, अन्यथा नियामकहेत्वभावे सर्वे भावा युगपदुत्पद्येरन् । किञ्च-कारणमन्तरेणापि कार्योत्पत्तिः काल का लक्षणस्वभाव से विद्यमान पदार्थों की विद्यमानतारूप जो वर्तना है उस मे सहकारी कारण होना काल का लक्षण है, इसी अभिप्राय से भगवान्ने भी कहा है-"वट्टणालक्खणो कालो" "काल वर्तनालक्षण वाला है।” वर्तना है लक्षण अर्थात् ज्ञापक जिस का, अर्थात् वर्तनारूप कार्य से जिसका अनुमान होता है उसे काल कहते है । वहाँ वर्तना उपलक्षण है उससे परिणाम, क्रिया, परत्व, (पहलापन), और अपरत्व (पीछापन) का भी ग्रहण हो जाता है। नियामक कारणके अभाव में पदार्थों का परिणमन नहीं हो सकता, अगर ऐसा न माना जाय तो सभी पदार्थों को एक साथ ही उत्पत्ति होने लगेगी। तथा कारण के विना भी सनु लक्षाસ્વભાવથી વિદ્યમાન પદાર્થોની વિદ્યમાનતાપ જે વર્ણના છે, તેમાં સહકારી કારણ થવું તે કાલનું લક્ષણ છે. આ અભિપ્રાયથી ભગવાને પણ કહ્યું છે ___ "चट्टणालखणो कालो” ४८ पत्तनातक्षा] पाजो 2 वर्तना छे सक्षY અર્થાત્ સાપક જેનું, અથાત્ વત્તના કાર્યથી જેનું અનુમાન થાય છે. તેને કાલ से . पसना BCA छे तेथी परिणाम, छिया, ५२त्व ( पडसापा) अन અપરત્વ (પાછા)નું ગ્રહણ થઈ જાય છે. નિયામક કારના અભાવમાં પદાર્થનું પરિણમન થતું નથી. જે એવું માનવામાં ન આવે તે સર્વ પદાર્થોની એક સાથે જ ઉત્પત્તિ થઈ જશે, તથા કાર વિના પણ
SR No.011616
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
Publication Year1958
Total Pages801
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size35 MB
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