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________________ ३४७ तथा वीर्यान्तगय के नष्ट होने से क्या परमेश्वर शक्ति दिखलाता है ? तथा भोगान्तराय के नष्ट होने मे क्या परमेश्वर भोग करता है ? उपभोगान्तराय के नष्ट होने से-क्षय होने से क्या परमेश्वर उपभोग करता है ? उत्तर : पूर्वोक्त पाचो विघ्नो के क्षय होने से भगवन्त में पर्ण पाच शक्तियां प्रकट होती है। जैसे-निर्मल चक्ष में पटलादिक बाधको के नष्ट होने से देखने की शक्ति प्रगट हो जाती है, चाहे देखे चाहे न देखे, परन्तु शक्ति विद्यमान है। जो पाच शक्तियो से रहित होगा वह परमेश्वर कैसे हो सकता है ? छठा दूषण 'हास्य'-जो हसना आता है सो अपूर्व वस्तु के देखने से वा अपूर्व वस्तु के सुनने से वा अपूर्व आश्चर्य के अनुभव के स्मरण से आता है इत्यादिक हास्य के निमित्त कारण हैं तथा हास्यरूप मोहकर्म की प्रकृति उपादान कारण है। सो ए दोनो ही कारण अर्हन्त भगवन्त में नही है। प्रथम निमित्त कारण का सभव कैसे होवे ? क्यो कि अर्हन्त भगवन्त सर्वज्ञ, मर्वदर्शी है, उनके ज्ञान मे कोई अपूर्व ऐसी वस्तु नहीं जिस के देखे, सुने, अनुभवे आश्चर्य होवे । इस में कोई भी हास्य का निमित्त कारण नही। और मोह कर्म तो अर्हन्त भगवन्तने सर्वथा क्षय कर दिया है सो उपादान कारण क्योकर संभवे ? इस हेतु से अर्हन्त में हास्यरूप दूषण नही । और जो हसनशील होगा सो अवश्य असर्वज्ञ, असर्वदर्शी और मोह करी सयुक्त होगा। सो परमेश्वर कैसे होवे ? सातवा दूषण रति' है. जिसकी प्रीति पदार्थों के ऊपर होगी सो अवश्य सुन्दर शब्द, रूप, गध, रस, स्पर्श, स्त्री आदि के ऊपर प्रीतिमान होगा, सो अवश्य उस पदार्थ की लालसावाला होगा, अरु जो लालसावाला होगा सो अवश्य उस पदार्थ की अप्राप्ति से दुःखी होगा। वह महन्त परमेश्वर कैसे हो सकता है ? आठवा दूषण ' अरति' है-जिसकी पदार्थों के उपर अप्रोति होगी सो तो आप ही अप्रीतिरूप दुःख करी दुखी है। सो अर्हन्त परमेश्वर कैसे हो सके?
SR No.011516
Book TitleDevadhidev Bhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTattvanandvijay
PublisherArhadvatsalya Prakashan
Publication Year1974
Total Pages439
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size13 MB
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