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________________ अध्ययन चौदमुं. [३] से णं एताए एसणाए एसमाणं परो पासित्ता बदेज्जा “ आउसतो समणा एजासि तुमं मासेण वा " ( . जहा वत्सणाए. .) (८५२) से णं परो णेत्ता वदेज्जा, “ आउसो ति वा भइणी ति वा आहरे यं पादं, तेल्लेण वा, धएण वा, णवणीएण घा, बसाए वा, अब्भधेचा वा तहेव, सिणापाइ तहेव, सीतोदगंकदादि तहेव । (८५३) . ... . से णं परो णेत्ता वदेज्जा “आउसंतो समणा, मुहत्तगं मुहत्तगं अत्याहि जाव, ताव अम्हे असणं या उबकरेसु वा उवक्खडेसु वा, तो ते वयं आउसो सपाणे संभोयणं पडिग्गहगं दास्सामो. तुच्छए पडिग्गहए दिण्णे समणस्स णो सुदृ साह भवति.” से पुवामेव आलोएज्जा "आ आ रीतनी तजवीजयी मुनिने पात्र मागता जोइ गृहस्थ कहे "हे आगुष्मन् श्रमण, तमो एक महिनो रहीने आवनो" इत्यादि सांभळी मुनिए जेम पिढपणाध्ययनमा कांछे तेम करखं. [८५२] । ___मुनि के आयोने तेही जनार गृहस्थ की मुनि के आशेने तेडी जनार गृहस्थ कहे के "हे आयुष्मन् श्रमण, या रहेन, पहेलं पात्र लाव; के जेथी तेने तेल, घी, माखण के चरवी चोपडी या या सुगंधि चीजो बडे सुवासित करी या उना के नाढा पाणीथी धोइ या कंद के वन म्पतिधी स्वच्छ करी मुनिन आपशुं." आवां घोल सांभळी मुनिए तरत ते का यत मनाई पाडयी अने कहेयु के जो आपना चाहता हो तो एमज आपो." तेम कन्या छतां गृहस्थ नाह माने तो तें पात्र मुनिए के भार्याए ले नहि. [८५३] तेडी जनार गृहस्थ कहे के " आयुप्मन् श्रमण, तसे घाडीवार उभा रही, 1 तेटलामां अमे आ रसोइपाणी तयार फरी लेश; अने त्यारे है आयुप्मन् तमाने रसादपाणी सहित पात्र आपीशं, वेमके खाली पात्र साधुने आप्याथी सा. १ कारण के अमार पास चीजें वर्तु पात्र नभी दर्शका) . . -
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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