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________________ अध्ययन चौदमुं. [२९७] वा णं जाएज्जा, जाव पडिग्गाहेज्जा । तच्चा पडिमा । (८१३) अहावरा चउत्था पडिमा:-से भिक्खू वा भिक्खुणी वा उझिचम्मियं वत्थं जाएज्जा। जंचण्णे बहवे समण-माहण-अतिहि-किवण-वणीमगा णावखंति, तहप्पगारं उज्झियधम्मियं वत्थं सयं वाणं जाएज्जा, परो चा से देना फासुयं जाव पडिगाहेज्जा । चउत्था पडिमा । (८१४) इच्छेयाणं चउण्हें पडिमाणं जहा पिंडेसणाए । (७१५) सिया णं तीए एसणाए एसमाणं परो वदेज्जा “आउसंतो समणा एजाहिं तुमं मासेण वा दसराएण वा, पंचराएण वा, सुए वा सुयतरे वा, तो ते वयं आउसो अण्णयरं वत्थं दासामो,” तहप्पगारं णिग्घोसं सोचा जिसम्म से पुयामेव आलोएज्जा “आउसो त्ति वा भइणि ति वा, णो खलु मे कप्पति, एयप्पगारे संगारे वयणे पडिसुणेत्तए । अभिकखसि मे तां निर्दोष जणातां ग्रहण करवू. ए त्रीजी प्रतिज्ञा. [८१३] चोथी प्रतिज्ञाः-मुनि अथवा आर्याए फेंकी देवा लायक वस्त्रो मागवां एटले के जे वस्त्रो वीजा कोइ पण श्रमण, ब्राह्मण, मुसाफर, रांक, के मि खारी चाहे नहि तेवां पोते मागी लेवां या गृहस्थे पोतानी मेळे आपतां निदर्दोष जणातां ग्रहण करवां. ए चोथी प्रतिज्ञा. [८१४] ए चारे प्रतिज्ञाओ माटे वधु खुल सो पिंडेपणा नामना अध्ययनथी धारवो. [८१५] ___ कदाच उपरनी प्रतिज्ञाओने अनुसरीने जोइतां वस्त्र लेवा जतां मुनिने कोइ गृहस्थ एवं कहे के हे आयुष्मन् श्रमण, तमो एक मास रटीने अथदा दस दिवस रहीने अथवा पांच दिवस रहीने अधवा आयती काले अथवा परम दहाडे अत्रे आवजो तो तमाने अमे कोइ पण वस्त्र आपी " आवा बोल सांभळी मुनिए कहे जोइए के "हे आयुप्मन् अथवा वेहेन, माराधी आवी रीतनुं वोलवू कबूल
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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