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________________ - अध्ययन वारमुं. [२७] उकसिस्सामो वा जाव रजए वा गहाय आकसिस्सामो, ". णो से-य परिक नं पारयाणेज्जा, तुसिणीओ उवेहेज्जा । (७२७) से गं परो णावागओ णावागयं वएजा “आउसंतो समणा, एयं । ता तुम णावं अलित्तेण वा पीढेण वा बसेण वा वलएण वा अवल्लएण वा वाहेहि; " णो से यं परिणं परिजाणेज्जा, तुसिणीओ उबेहेज्जा । (७२८) से णं परो णावागओ णावागयं वदेज्जा " आउसंतो समणा, एयं ता तुम णावाए उदयं हत्थेण वा पाएण वा मत्तेण वा पडिग्गहेणं वा णावाउस्सिचणेण वा उस्सिंचाहि " णो से-यं परिणं परिजाणेज्जा । (७२९) से णं परो णावागतो णावागतं वएज्जा “ आउसंतो समणा, ताणवाना काममा अशक्त छो तो अमुक दोरडं मने लावी आपो अमे पोत वहाणने वाळवा करवानुं करता रहीशं." आवू सांभळी मुनिए तेम पण कबुल नहि कखु किंतु मौन रही धर्म ध्यान ध्याया करवू. [७२७] ___ वहाणपर चडेला सुनिने वहाणवाळा लो एवँ कहे के “हे आयुष्मन् श्रमण, आ वहाणने तमे आ पाटीआना अलताओ के हलेसांओवडे या वांस के वळावडे या अबल्लक नामना हथियार वडे आगळ चलावो." तो आ वात पण मुनिए न स्वीकारवी. किंतु मौन रह्या करवू. [७२८] ___ वहाणपर चडेला मुनिने वहाणवाळा लोको एम कहे के " हे आयुष्मन् श्रमण, आ वहाणना अंदर भराता पाणीने तमे तमारा हाथथी या पगथी या वास थी के पात्रयी या वहाण मांहेन। पाणी कहाडवाना हथियारथी वहार काढता रहो" तो आ वात पण मुनिए न स्वीकारची किंतु मौन धरी रहे. [७२९] वहाणपर चडेला मुनिने वहाणवाला लोको एम कहे के हे "आयुप्मन् श्रमण
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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