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________________ आचारांग-सूळ तथा मापान्तर. माणस वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइ वा असायं जाव णो पडिग्गाहेजा । [६८३] से भिक्खू वा भिक्खणी वा से ज्जं पुण उबस्सयं जाणेजा-ससागारियं सागणियं सउदयं णो पण्णरस णिक्खनणपवेलणाए जो पण्णस्स वायण जाब चिंताए-तहप्पगारे उबस्सए णो ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेज्जा । [६८४] से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से ज्जं पुण उबस्सयं जाणेज्जागाहावइकुलस्त मझ मज्झेणं गंतु पएपएपडिबद्धं णो पण्णस्स णिक्खमण जाव चिंताए तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं या चेतेज्जा । [६८५] से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से जं पुणं उबस्सयं जाणेजाइह खलु गाहावई वा जाव कम्मरीओ वा अण्णमण्ण-मकोसंति वा जाव उद्दति वा, णो पण्णस्य जाब चिंताए, तहप्पगारे उबस्सए णो ठाणवा जाव चेतेज्जा । [६८६] रपागी ग्रहण नहि करवां [ ६८३ ] मुनि अथवा आर्याए जे मकान, अभि तथा पागीना प्रचारवाळू जणाय अने तेथी तेमां नीकळg पेस के पांचवा भगवान करवू मुश्केली भरे जणाय तो त्यां नहि रहे. [६८४] मुनि अथवा आर्याए जे मकानमा गृहस्थना घानी अंदरथी जातुं होय ने तेथी नीकळवा पेशवानी तथा भणवा गणवानी अटचण पडती मालय पडे तो त्यां नहि रहेधु. [६८५] मुनि अवदा आयाए के मकानमा गृहस्यों के चाकरडीनी अरसपरस वाला चाली के मारामारी करना जणाय तवा मकानों पण नीकाळा-शानी तथा भणवा गणवानी अडचण पडती होवाथी नहि रहे. [ ६८६]
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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