SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 231
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . .अध्ययन अगायारमुं. अप्पपणिं जाव अप्पसताणायं तहप्पगारे उवैस्सए पडिलेहेत्ता पमजेत्ता ततो संजयामेघ ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेज्जा । (६४७) से ज्जं पुणं उवरसयं जाणेज्जा अस्सिपडियाए५ एगं साहम्मियं . समुद्दिस्स पाणाइं भूताइं जीवाई सत्ताई समारब्भ समुद्दिस्स कीयं पामिच्चं अच्छेज्जं अणिसटुं अभिहडं आहट्ट वेएति तहप्पगारे उवस्सए पुरिसंतरगडे वा अपुरिसंतरगडे वा जाव आसेविते वा णो ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं वा चेतेज्जा । एवं बहवे साहम्मिया एगा साहम्मिणी बहवे साहम्मिणीओ । [६४८] - से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से ज्जं पुणे उबस्सत्यं जाणेज्जा ५ एतान् मुनीन् प्रतिज्ञाय. थोडां १ जणाय तेवा उपाश्रयमा जोइ तपासी प्रमार्जन करी त्यारवाद यतनापूर्वक त्यां स्थान शय्या के वेठक करवी. [६४७] बळी जे उपाश्रय मुनिओना माटेज बंधावेलो के राखेलो जणाय, जेमके, ते एक मुकरर समानधर्मी साधुना माटे जीवहिंसापूर्वक बंधायो होय या वेचातो लइ राख्यो होय अथवा भाडे राखेलो होय या झूटावी लइ राखलो होय या मालेकनी रजा शिवाय राखेलो होय या ते तैयार थइ रहेतां तरत वीजा माणसनी वती मुनिना सामे जइ जणावेलो होय तेवो उपाश्रय अगर तेज देनार धणीए चगेलो हाय या वीजा पुरुपे चणेलो होय तेमज ते देनारे नहि वापरलो हाय या चापरेलो होय तोपण तेमां मुनिए तथा आर्याए स्थान शय्या के वेटक नहि करवी. एज रीते घणा मुनिओने या एक आर्या के घणी आयाओने उद्देशीने करेला मकानमां पण नहि रहे. [६४८] . मुनि अथवा आर्याए जे मकान घणाएक ( बुद्धमती ) श्रमण. ब्राह्मण, वन १ नहि जेवा only fest -- -- - --.aan a
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy