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________________ [४] प्रस्तावना. गणिनी देखरेख नीचे जैन संप्रदायना विहान् आचार्योए एकठा मळी जैन आगमा लखी लेवानो निश्चय कर्यो. मोटा मोदा श्रीमंतो ते समये जैन धर्मानुरागी होवाथी जैन आचार्यों पोतानी धारणायां फतेह पास्या अने पुष्कळ श्रम लइ पुस्तको लखी तेती जुदी जुदी मतो जुदा जुदा शहेरोना जैन भंडारोमा दाखल करावी. या सूत्रो निप्पक्षपाती विद्वानोनी कसायली कलमधी लखायेलांके एम पुरवार करदाने एटलुन बस यशे के आ सूत्रो विद्वान् पुरुषोना मंडळे एकठां मळीने एकत्र अभिप्रायथी लखावेलांछ जेथी कोइ पण मतमनांतर के कदाग्रहनो पक्ष तेमां होय ते धारचु भूल भरेलुछे. वळी आ सूत्रो लखवामां कोइ पण जातनी विषमता यातो (पाछळनी प्रजामां देखाती) स्वार्थ परायण द्रष्टि होवानुं कशुं पण कारण नहोतुं. जेथी आ सूत्रो निष्पक्षपात अलीथी लखायाँछे एम कबुल कर्या विना चालतुं नथी कारण के ते सर्व विद्वान आचार्योना मगजमा जे हकीकत खरेखरी याद आवी अने सर्व मान्य थइ तेज सूत्रोमां गुंथाइ हती. झानीना वाक्यो संक्षिप्तन होय छे-तेनां टुंफ शब्दोमा घणो भावार्थ समायेलो होय छे. आपणां आगमो वांचतां भावां वाक्यो स्थळे स्थळे नजरे पटछे. जेयी वांचक वर्ग पोतानी स्थूल वृद्धिने लइने रहस्य समजी न सके तो तेमां मूळ लेखकोने को दोष देवानो नथी, आवातनी सत्यताने खात्री एटला उपरथीज यशे के जैन आगमा लखाया पछी केटला एक विद्वानोए त उपर नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, दीका वींगरे करेलांछे ते एवा हेतुथी के आजना दुर्लभ चोधी जीवने ते वाक्यो समजवां सुगम पडे. मूळ जैन भागमो ८४ इता तेमांयी भयंकर दुष्काळो तथा राज्प विप्लवोना समयमां, केटलांक, गाम, नगर, शेहेरा वीगेर उजह थइ नाश पाम्यां ते सार्थ आपणां घणां सूत्री पण लय पाम्यां तो पण मुभाग्ये हालमा तेमांना ३२ यी ४५ आगमो विद्यमान रह्यांछे. ___अर्वाचीन समयमा मागधी-प्राकृत अन संस्कृतनो अभ्यास घटतो गयो भने यी सूत्रोनी शैली समजनाराओनी खोट पडवा लागी. जो के मुद्रणकलानी सादनाथी सगवडता वधती गई परंतु दुर्भाग्य ते वांची
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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