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________________ जैन मन्त्र-विद्या श्री सोहनलाल देवोत माजके भौतिक युग में मन्त्र-विद्या को उपेक्षा की दृष्टि से देखा जा रहा है । मनुष्य प्राज के उपलब्ध भौतिक ज्ञान से विकसित यन्यो और तकनीकी ज्ञान को ही सब कुछ मान बैठा है। हमारे पूर्वाचार्यों, ऋषि-महपियो ने शक्ति की खोज शब्दो तथा विचारो को एक निश्चित प्रक्रिया में की थी। किन्त माज के भौतिक विज्ञान के प्राचार्यों ने शक्ति की खोज अण, परमाण प्रादि मे की है। भौतिक विज्ञान के अन्वेपण वस्तु जगत् की शक्ति का ही पता लगा सकते हैं । अत भौतिक विज्ञान की बड़ी से बडी सफलता वस्तु-जगत तक ही सीमित रहती है। शब्द-तत्व की शक्ति की साधना सजग मानव मस्तिष्क से ही सम्भव है । शब्द-जगत मे असीम शक्ति के भण्डार पड़े हुए हैं। जिस प्रकार वैज्ञानिक वस्तु-जगत की सोजो को लोक-कल्याणकारी कार्यों में लगाकर व्यक्ति व समाज का हित कर सकता है, उसी प्रकार मन्त्र-साधक शब्द-शक्ति को जगाकर लोक-कल्याणकारी कार्यों मे उसको लगा सकता है । इसी हेतु मन्त्र-साधको ने शब्द-जगत की शक्तियो की खोज की और उन तक पहचने के उपाय हमारे लिए प्रशस्त किये हैं। समस्त धामिक साधनाए, पूजापाठ, जप-तप, ध्यान, योग प्रादि वे प्रक्रियाए हैं जिनके द्वारा शब्द-जगत की शक्ति को विकसित किया जा सकता है। मन्त्र का प्राधार शब्द है। मन्त्र-विज्ञान को शब्द-विज्ञान अथवा ध्वनि-विज्ञान भी कह सकते हैं । शब्द की ध्वनि मे एक शक्ति छिपी हुई है जो वर्ण ध्वनियो के अनुसार भिन्नता रखती है । यहा मन्त्र की शास्त्रीय परिभाषा न कर मन्त्र-विज्ञान अथवा शब्द-विज्ञान को आधुनिक परिप्रेक्ष्य मे परिभाषित करना अधिक उपादेय होगा। शब्द मे अपरिमित सामथ्यं है । शब्दों के उच्चारण से ध्वनि पैदा होती है। ध्वनि से कम्पन उत्पन्न होते हैं। वे कम्पन इथर तत्व के माध्यम से विश्व-भ्रमण कर कुछ क्षणो मे लौट पाते हैं। विभिन्न समान शक्तियो से एकता का स्थापित होना प्राकृतिक नियम है। इसलिये कम्पनों का पुज अपने केन्द्र तक लौटते-लौटते अपनी शक्ति बढा लेता है । यह कार्य इतनी तीव्र गति से होता है कि साधक को इसका अनुभव भी नही हो पाता कि शब्दो के उच्चारण मात्र से चमत्कार कैसे उत्पन्न हो रहे हैं? 17
SR No.011085
Book TitlePerspectives in Jaina Philosophy and Culture
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatish Jain, Kamalchand Sogani
PublisherAhimsa International
Publication Year1985
Total Pages269
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size12 MB
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