SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 141
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 129 और अपनी वीरताकाभी अदभुत परिचय देती रही । अतः यह कहना कि जैन और बौद्धधर्म के कारण भारतका अद्यःपात हुआ यह केवल भ्रमही नहीं किंतु ऐतिहासीक असत्य है । महात्मागांधी और अन्यान्य इतिहास ज्ञोंने सिद्धकिया है कि भारतके अद्यः पातके मूलकारण स्वार्थ परायणता, अंतरकलह, व्यसन, अनीति, धार्मिक असहिणुता, और सार्वभौमराज्यकी तादृश सन्नितिका अभाव है. जैनाचार से देश की होती पायमाली कितनी रुकी है इसको निष्पक्ष दृष्टिसे पढने बाले इतिहासज्ञ जानसक्ते हैं. कारणके जैनाचार से उपरोक्त पायमालीके कारण निमूल होते रहे हैं. जैनाचार में व अहिंसा के सिद्धांतमें स्वदेश रक्षासे असावन करनेवाला कोई तत्व नहीं है. पाश्चात्य विद्वानो का मत है कि अहिंसादि सिद्धांत, नैतिक, सामाजिक, और राजकीय विविध कूट प्रश्नोंका निराकरण करनेमें अमोध शस्त्र है । जैनोंनें विद्या, कला, साहित्यभी उच्चतर प्राप्त किया है जैन शिल्पकलासे मध्य कालीन समयमें गुजरातमें बडती हुई मुसलमानी शिल्पकला पर प्रभाव डालकर प्राचीन आर्य कलाकों टिका रखा हैं. आबूके और राणकपुरके जैनमंदीर और प्रभासपाटणका हिंदुमंदिर इसबातका दृष्टान्त है. जैनोंने संकृत साहित्य में भी बहुत भारी हिस्सा दिया उत्तम तत्वज्ञान और स्यादवाद नामक न्याय बुद्धि पराकाष्ठा दिखाता है प्राकृत साहित्य तथा बहु देशीय भाषाओंके साहित्यका उद्भव जैनोंसे ही खासकर हुआ है । TAMARRIENAA THE TEALA LIBRARY HILTH
SR No.011046
Book TitleHistorical Facts About Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Lajpatrai
PublisherJain Associations of India Mumbai
Publication Year
Total Pages145
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy