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________________ १ "..चीनकालमें जैनिओने उत्कृष्ट पराक्रम वा राज्यभारका परिचालन किया है. २ जैनधर्ममें अहिंसा का तत्व अत्यन्त श्रेष्ट है. ३ जनधर्मम यति धम अत्यन्त उत्कृष्ट है-इसमे सन्दह नही. - जैनियोंमें स्त्रियांकाभी यतिदीक्षा लेकर परोपकारी कृत्योमे जन्म व्यतीत करने की आज्ञा है वह सर्वोत्कृष्ट है. ५ हमार हाथम जिवहिंसा न होने पाये इसके लिए जैनी जीतने डरत है इतने बौद्ध नहीं डरते । ६ बौद्धधर्मदेशामें मांसाहार अधिकताम जारी है। आप स्वत: हिंसा न करके दूसरंक द्वारा मार हवे बकर आदिका मांस खानेमें कुछ हर्ज नहीं ऐम सुभीतेका अहिंसा तत्त्व जो बौद्धोने निकाला था वह जैनियोको सर्वथा स्वीकार नहीं है. ७ जनिऑकी एक समय हिंदुस्थानमें बहुत उन्नः।।वस्थाथी, धम नीति, राजकार्यधुरंधरता, शास्त्रदान, समाजोन्नति आदि बातोमें उनका समाज इतर जनोसें बहुत आगे था.' xx xx xx रायबहादुर पूर्णेन्दुनारायणसिंह एम. ए. बांकीपुरवाला लखे छे केजैनधर्म ५.ढनेकी मेरी हार्दिक इच्छा है, क्यों की में ख्याल करताहं कि व्यवहारिक योगाभ्यासके लिये यह साहित्य सबसे प्राचीन (Oldest) है. यह वेदकी रीति रिवाजोसे पृथक् है. इसमे हिन्दुधर्मस पूर्वकी आत्मिकस्वतन्त्रता विद्यमान है, जिसको परमपुरुषोने अनुभव व प्रकाश किया है यह समय है कि हम इसके विषयमें अधिक जाने."
SR No.011046
Book TitleHistorical Facts About Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Lajpatrai
PublisherJain Associations of India Mumbai
Publication Year
Total Pages145
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size8 MB
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