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________________ ( १७) जन करने से उल्लू कव्वा, विल्ली, गिद, सूवर, सर्प, वीछू, गोहरा, गोह आदिक में जन्म होता है मद्यमांसासनंरात्रौ भोजनंकंदभक्षणं । भक्षणानरकयांतिवर्जनात्स्वर्गमाप्नुयात् ॥अज्ञानेनमयादेव कृतंमूलकभक्षणं । तत्पापंयांतुगोविंदंगोविंदंतवकीर्तिनात् ॥ रसोनंरंजनंचैव पलांडपिंडमलकं । मस्यामांसंसुराचैव मूलकंचविशेषतः ।। अर्थ-शराब पीने मांस खाने रातको भोजन करने और • कंद भक्षण करने से जीव नरक में जाता है और त्यागने से स्वर्गमें जाताहै।हेगोविन्द मैंने अज्ञान कर मूल अर्थात् मूली गाजर आदिक खाया है वहे पाप तुह्मारी कीर्तिसे दूरहों लहसन, गाजर, प्याज़ पिंडाल 'पूल, मच्छी, मांस, मदिरा और विशेषकर मूलका भक्षण नहीं करना । शिवपुराण। यस्मिनग्रहेसदानित्यं मलकंपाच्यतेजनैः । स्मशानतुल्यतद्वेश्मपितृभिपरिवर्जितं ।मूलकेनसमंचान्यस्क्तमुक्तेनरोधमा। तस्यशुचिनविद्येत चंद्रायणशतैरपि ॥ भुक्तंहालाहलंतेनकृतंचाभक्षभक्षणं । वृत्ताकभक्षणंचापिनरोयांतिचरोरवं ॥ अर्थ-जिसके घर नित्यमूल पकाया जाता है उसका
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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