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________________ । रतनपरोक्षक। ॥ मृसा ॥ इसका रंग काला चमदार होता है, इसकी मूर्ती आदि अक्सर बनाई जाती हैं, पैदाइश इसकी इलाके जैपुर या जंबू देश भद्रवा बीच है ॥ पनधन ।। इस का रंग चिटो संग नर्म होता है नर्मदा नदी ओर हिमालय देश वीच मिलता है ॥ अमलीया ॥ थोडा कालापन लिये गुलाबी होता है इसकी खल बनती हैं यह कत्थे के माफिक होता है इसकी खल बनती है निलीयर ॥ इसका रंग सवज़ अथवा काला होता है ऊपर सफेद छोटा होता है पैदा नर्मदा नदी वीच होता है इसकी खल बनती हैं ॥ संग बारा॥ __ यह वीस तरह के रंग का होता है. साफ चिकना चमक दार होता है हिमालय पर्वतों में मिलता है. पत्थर २०० मन तक के निकलते हैं. ॥ पायजहर ॥ यह सफेद पांश के माफिक होता है विष के घाव पर घिस कर लगाने से घाव सूख जाता है ॥सेलखडी ।। इस को संग जराहत भी कहते हैं. इसका रंग मट्टी के माफिक होता है. पैदाउत्तरा खंड पश्चिम में होता है इसके अक्सर खिलोने बनाये जाते है जखम पर घिस कर लगाने से जखम भर देता है यह सब से नर्म होता है
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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