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________________ - । रतन परीक्षक। ॥दोहरा ॥ ॥ सैलांन जजीरे होत है। जरदी मायल सोय । ॥ मगज नाम करकहित है। कीमत कमती होय ॥ ॥चौपई॥ । मसकत का स्याही पर होई। म्यांनि नाम कहि हैं सोई ।। ॥ विरहन का मोती शुभ जानो। सुंदर श्वेत चमक कममानो। । जद्दे का चावलिआ कहिए । लंवा रूक्ष चमकविन लहिए। ॥ नाम द्वारिका सप्तम होई ! स्याही माइल हलका होई॥ ॥ सातों स्थान मुख्य जहां जानो। अवर सिंगत अधिक पांनो ॥ सानो ऐव जाहु में होई ।भिन भिंत वर्णन सनसोई।। ॥ गर्ज नाम दोष इक जॉनी । फूट की मानिंद पत्रांनो॥ ॥लहर दोष सो दसर होई। रखा अति सरखम सोई॥ ॥ गीडी नाम दोष इक जाना । रेखा विच गिर्दि मानो । ॥ चोभा नाम दोष इक होई। ज्यो मसूर कामी तर सोई॥ ॥ कागा वासो दोष पछांनी । श्याम रंग का मोती मांनो। । तामसरी नाम दोष इक होई। ताम्र वर्ण की छाया सोई॥ ॥ सतम चिन्हा दोष विचारों । ऊचा नीचा भेद समारो॥ ॥दोहा॥ ॥ स्वांतो मेंसूरजरहे । जितना निर परमन ॥ ॥ वदल बूंद क जोंग से । मुक्ता आदि पछान ॥ उत्तम सिंहल देस को। श्वेत रंग परिमांन॥ साफ चमक चिकनाट में। मानों मोम समान ।। ॥चौपाई॥ ॥ पार लौकिक लंकारिक मानो। युवकदार भारा अति जोनो॥ ॥ तांवर परण देस का होई । ताम्र वर्ण का मोती सोई ।। पारस देशी पीत पत्रानो । कोवर देस स्याहो पर मांनो॥ ॥ पांड देस का श्वेत विनागे। फिक्का नमक हीन मन धागे।। - Awwar - - - -
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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