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________________ स्वदशा-आन्दोलन और बायकाट । होजाता है। अर्थात् कोई आन्दोलन यहां चिरस्थायी होने नहीं पाता। अत. एव प्रस्तुत आन्दोलन को चिरस्थायी करने का कुछ विशेष यन किया जाना चाहिए। परंतु प्रश्न यह है कि यह काम करै कौन ? अपने देश की वर्तमान दशा के संबंध में लोगों के विचारों को जागृत कौन करे ? इस कार्य के करनेवालों को, यदि किसी दुरभिमानी, अन्यायी और स्वेच्छाचारी अफसर से कुछ तकलीफ हो, तो उसकी परवा न करके 'स्वदेशी' के लिये श्रात्मार्पण करने को कौन तै पार है ? इसका उत्तर यह है, कि यह काम सब लोगों का है; किसी एक व्यक्ति का नहीं, किन्तु सारे समाज-मारे देश-का है। अतएव प्रत्येक देशहितैषी मनुष्य को 'स्वदेशी' का स्वयं-सेवक Homten वालंटीयर) बनकर, 'स्वदेशी' को चिरस्थायी करने का तन, मन, धन से उद्योग करना चाहिए। जिस तरह बंगाल के स्वयं-सेवक स्वदेशी' का प्रचार बंगाल प्रांत में कर रहे हैं, उसी तरह इम देश के सब प्रांतों में कुछ उत्साही लोगों को म्वयं-सेवक बनकर म्वदेशी' का प्रचार करना चाहिए । छोटे बड़े, विद्वान अविद्वान, श्रीमान गरीब, व्यापारी विद्यार्थी, गृहस्थ सन्यासी आदि किसी प्रकार का भेदाभद न समझकर, सब श्रेणी के लोगों में स्वदेशी' स्वयं-मेवक उत्पन्न होने चाहिय । ‘म्वदेशी' की वृद्धि करनेवाले चाहे व्यापारी हो, चाह ग्राहक हों, सब लोगों को कुछ स्वयं-संवक दरकार हैं । इस समय, यदि प्रत्येक गांव में नहीं तो प्रत्येक कसबे में, और प्रत्येक शहर में, कुछ 'स्वदेशी' स्वयं-सेवकों की बहुत जरूरत है। इन 'स्वदेशी' स्वयं-सवकों का यही काम है, कि वे घर घर में- गली गली में--जाकर लोगों को स्वदेशी' का उपदेश दें, लोगों में 'स्वदशी' के विचारों की मदा जागृति करते रहें, लोगों को स्वार्थत्याग और स्वावलंबन की शिक्षा दें, व्यापारियों को व्यापार-संबंधी नई नई बातों की सूचना दें और विद्यार्थियों को स्वदेशी' का व्रत धारण करने के लिये उत्तेजित करें। उनका यह भी काम है कि वे 'स्वदेशी' पर अच्छे अच्छे लेख लिखें या लिखवावें, और उनकी लाखों प्रतियां छपवाकर, बिना-मूल्य या अल्प मूल्य पर, सर्व साधारण लोगों में वितरण करें। इस काम में श्रीमानों को द्रव्य-द्वारा सहायता करनी चाहिए । हमारे देश में भाट, चारण,
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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