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________________ स्वदशी-आन्दोलन और बायकाट । साहब सेक्रेटरी श्राफ स्टेट के मातहत हैं, सेक्रेटरी आफ स्टेट पार्लिमेन्टसभा के मातहत हैं और पार्लिमेन्ट-सभा के मेम्बर बृटिश-निर्वाचकों के अधीन हैं । सारांश, इस देश में जो विदेशी राजसत्ता स्थापित हुई है वह किसी एक व्यक्ति के हाथ में नहीं है -- उसके सूत्र अनेक व्यक्तियों के हाथ में हैं । अर्थात्, इस देश में, कोई एक राजा नहीं है--अनेक राजा हैं । स्वाधीन-देशों में इस शासन-प्रणाली से प्रजा का बहुत कल्याण होता है; परन्तु हिन्दुस्थान जैसे पराधीन देश में इस शासन-प्रणाली से प्रजा का कुछ भी कल्याण नहीं होता । यहां प्रजा को न तो कुछ हक़ हैं, न अधिकार है और न मान है। यहां जो अंगरेज-राजकर्मचारी हैं उन्हींके हाथ में सब राजसत्ता है-वही लोग यहां के गजा हैं । इंग्लैण्ड-देश का जो राजा है (और आईन के अनुसार जो इस देश का भी राजा है ) उसकी सत्ता, कानून के द्वारा अत्यन्त मर्यादित करदी गई है। वह अपने मन में कुछ कर नहीं सकता । यथार्थ में उसको कुछ भी अधिकार नहीं है-वह केवल नामधारी राजा है ! इसमें सन्देह नहीं कि राजा की सत्ता को इस प्रकार मर्यादित कर देने से इंग्लैण्ड की प्रजा का अत्यन्त हित हुआ है; परन्तु इस बात में भी सन्देह नहीं कि उक्त प्रणाली से इस देश की प्रजा पर अनेक बुरे परिणाम हुए हैं। सबसे बुरा परिणाम यही हुआ, कि इस देश की यथार्थ राजसत्ता विदेशीनिर्वाचकों और विदेशी-अफसरों के हाथ में चली गई । अर्थात् इस देश के गोरे अकसर और इंग्लैण्ड की पार्लिमेन्ट-सभा के मेम्बरों के निर्वाचकगण ही हमारे राजा बन बैठे । जिन गोरे अफसरों के हाथ में इस देश की राज-सत्ता है उनकी यही इच्छा देख पड़ती है कि वह राजसत्ता सदैव अपनेही हाथ में बनी रहे-वह कदापि अपने हाथ से जाने न पावे या वह किसी तरह कम न होने पावे । और इसी स्वार्थ से भरी हुई दुष्ट इच्छा की पूर्ति के लिये उन लोगों के सारे प्रयत्न होते हैं । अब इस बात को भी देखिये कि इंग्लैण्ड की पार्लिमेन्ट-सभा के मेम्बरों के निर्वाचक गणों की इच्छा क्या है । यद्यपि वे स्वाधीन-चित्तवाले और न्याय-प्रिय हैं, तथापि अपने देश के व्यापार की वृद्धि के हेतु उनकी भी यही इच्छा देख पड़ती है कि हिन्दुस्थान का सब व्यापार अपने ही हाथ में बना रहे । यह
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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