SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 199
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यह प्रसंग बडही मारक का है। हमारी जागृत की हुई जन-सम्मति का अनादर न करे। इतनाही नहीं, हमारे समाज-नायकों का यही मुख्य कर्तव्य होना चाहिए कि सरकार हमारी जन-मम्मति का आदर करे; .हमारी जन-सम्मति के अनुसार जो जो बातें हम इष्ट हो उनको सफल करने का सरकार प्रयत्न करे। इसी उद्दश्य से बंगालियों ने यह निश्चय किया. कि यदि मरकार हमार्ग प्रार्थना पर ध्यान नहीं देती- हमारी बहुजनमम्मति का आदर नहीं करती तो हम लोगों का विलायती वस्तु के त्याग की प्रतिज्ञा करनी चाहिए। इसी को बायकाट या वहिष्कार कहते हैं। यह उपाय बहुत अच्छा है। मब लोग जानते हैं कि जब किसी की नाक बन्द कर दी जाती है तब उसका मुँह आपही आप खुल जाता है। ठीक इमी तरह, जबतक हमार आन्दोलन में कुछ विशेषता न होगी, अर्थान जबतक हमार आन्दोलन में सरकार को मजबूर करने की शक्ति न होगी. तबतक सरकार पर उसका कुछ अमर न होगा। प्रस्तुत प्रसंग बड़ही मारके का है और उक्त उपाय भी बहुत अच्छा है। सत्र लोगों की आंग्वें टकटकी लगाये दग्व रही हैं कि अब इसका नतीजा क्या होगा। अव व्याख्यानों की जरूरत नहीं है: जरूरत है कार्य की । अब मौखिक देशाभिमान का समय नहीं है; ममय है दृढ़ निश्चय में काम करन का। हम कह आये हैं कि यह प्रसंग भारतवर्ष के वर्तमान ममय के इतिहास में एक अत्यंत महत्व की घटना है--यह हम लोगों की आन्दोलन पद्धति के सुधार का चिन्ह है। सारांश. यह समय ऐसा है कि, अब हम लोगों को अपने दृढ़-निश्चय और ऐक्यभाव में अपने कार्य की सिद्धता करनी चाहिए नहीं तो हमें अपने आन्दोलन की पूर्व-पद्धति पर मृगजल के समान विश्वास रखकर, केवल अपनी वाक्पटुता का प्रदर्शन करते हुए. निरंतर दामत्व ही में रहना पड़ेगा।
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy