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________________ यह प्रसंग बड़ही मारके का है। दश के शासनकर्ता होने के अधिकारी हैं। उस देश की राजसत्ता कभी एक पक्षवालों के हाथ में रहती है, कभी दूसरे पक्षवालों के हाथ में। अर्थात् जो पक्ष सब से अधिक लोगों की मम्मति प्राप्त कर लेता है उसी. को राजसत्ता प्राप्त होती है। इसीलिये वहां प्रत्येक समाज-नायक बहुजनसम्मति को अपने पक्ष में लाने का प्रयत्न करता है। हिन्दुस्थान की दशा भिन्न है । यह देश पराधीन है। इस देश की राजसत्ता इस देश के निवामियों के हाथ में नहीं है। यह विदेशियों के हाथ में है। अतएव, यहां हमारी बहुजनसम्मति को वह सन्मान नहीं मिल सकता जो इंगलैण्ड में अंगरेज लोगों की सम्मति को मिलता है । इमलिये, जिस प्रकार " अभिनवमदलेखाश्यामगंडस्थलानां । न भवति बिसतंतुर्वारणं वारणानाम् " । मदोन्मन्त हाथी कमल के नंतु से नहीं बांधे जा सकते, उसी प्रकार जब हमारे देश में विदेशी-राजमत्ता-रूपी हाथी राजमद से उन्मन होकर अनुचित कार्य करने लगता है, नब हम लोगों की शक्तिरहित सम्मति उसको कदापि रोक नहीं सकती। उदाहरणार्थ, जिस ममय सरकार ने इस विषय का कानून बनाया, कि हिन्दुस्थानी स्त्रियों का गर्भाधान-संस्कार बारह वर्ष की उमर में किया जाय, और इस देशवालों को म्वतंत्र-शिक्षा न देकर सिर्फ उसी प्रकार की शिक्षा दी जाय जो सरकारी अमरों को पमंद हो, उस ममय इस देश के लोगों की शक्तिसहित सम्मति और राज्य-व्यवस्थानुसार आन्दोलन करने की निरर्थकता का परिचय हो गया था। अब उमी बान का अनुभव. हाल ही में, वंग-भंग की आज्ञा मे. एक बार और भी हुआ है। राजनीति का यह नन्त्र सर्वमान्य है, कि जिन लोगों की भाषा एक है. जिन लोगों के प्राचार-विचार एक है, जो लोग सैकड़ों वर्षों में एक प्रांत में रहने के कारण एकत्र है, वे यदि एक लफ्टिनेन्ट गवर्नर या एक गवर्नर की शामन-सत्ता के आधीन रक्ये जाँय. तो उन लोगों की उन्नति होगी- उन लोगों में एकजातीयता और एकराष्ट्रीयत्व की कल्पना दृढ़ होगी । लार्ड कर्जन के समान दूरदर्शी और दृढ़-निश्रय बड़े लाट इस देश में बहुत कम आये होंगे। उन्होंने यह देखा कि बंगाली-लोग अंगरेजी भाषा, अंगरेजी इतिहाम और अंगरेजी माहित्य का अभ्याम करके अंगरेजों की
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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