SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 185
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूमिका। यह छोटीसी पुस्तक, हमारे मित्र, डाक्टर वासुदेवराव लिमये, की श्राज्ञा से लिखी गई है । गत वर्ष दिसंबर में जब हम दोनों बनारस की कांग्रेस को गये थे तब डाक्टर साहब ने यह प्रस्ताव किया था कि, स्वदेशी आन्दोलन पर केसरी में जो लेख लिखे गये हैं वे यदि हिन्दी में प्रकाशित हों तो उनसे बहुत लाभ होगा। यह सूचना मुझे बहुत अच्छी लगी । मैंने डाक्टर साहब की इच्छा के अनुसार इस काम को करने की प्रतिज्ञा की। परंतु दुर्भाग्यवश जनवरी से अप्रैल तक यहां लेग का बड़ा जोर रहा । इस लिये उस समय कुछ काम न हो सका। अब यह पुस्तक छपकर तैयार है, जो सुहदय पाठकों की सेवा में अर्पण की जाती है। पूना के सुप्रसिद्ध देशहितैषी श्रीयुत बाल गंगाधर तिलक द्वारा सम्पादित केसरी समाचार-पत्र में, स्वदेशी आन्दोलन के संबंध में, जो लेखमाला प्रकाशित हुई है. उसकी भापा एसी मनोहर, विवेचन-पद्धति ऐसी गंभीर और भाव ऐसे ऊंचे दर्जे के हैं, कि मराठी पढ़नेवाले उसपर मोहित हो जाते हैं। हिन्दी में उसका अनुवाद करना बड़ा कठिन काम है । अनाव मैंने उसका शब्दश: भाषान्तर नहीं किया; किन्तु उसके यथार्थ भावों को हिन्दी में प्रकाशित करने का यथामति और यथाशक्ति मैंने प्रयत्न किया है। यह गंभीर विषय पाठकों की समझ में भलीभांति आ जाय और उसका अमीम महत्व सब लोगों को विदित हो जाय, इस हेतु मैंने उसके भिन्न भिन्न भाग किये हैं। कहीं कहीं मूल-लेम्ब का अनुवाद किया गया है। कहीं उसका भाव ही दिया गया है और कहीं केवल उसके आधार पर नूतन रचना की गई है। कहीं कहीं अन्य ग्रन्थों और लेखों के आधार पर भी कुछ नई बातें लिखी गई हैं। इस बात का निर्णय पाठकगण स्वयं कर लेंगे, कि इस यत्न में मैं कहां तक सफल हुआ। संभव है कि परीक्षकों की दृष्टि में इस लेख की योग्यता बहुत कम पाई जाय । अतएव मेरी यह प्रार्थना है कि, इस लेख को पढ़कर वे मूल.
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy