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________________ ४४ जैनधर्मपर व्याख्यान. अर्थ-हे पिता मैंने जन्मजन्मांतरमें (अर्थात् इस भव और पर भावोंमें ) वैदिक धर्मका बहुत अभ्यास किया है मैं इस वैदिक धर्मको नहीं पसन्द करता जो अधर्मसे भराहुआ है। विज्ञान भिक्षुने कपिलके सूत्रोंका जो भाष्य किया है उसमें वह भी इसी विषयपर मार्कंडेयपुराणका प्रमाण देता है: तस्माद्यास्याम्यहं तात दृष्टमं दुःखसन्निधम् । त्रयीधर्ममधर्मादयं किपाकफलसन्निभम् ॥ अर्थ-हे तात यह देखकर कि वैदिक धर्ममें महादुःख है मैं इस अधर्मसे भरे हुए वैदिक मत पर क्यों चलूं। यह वैदिक धर्म किंपाक फलके समान है जो अर्चि देखनेमें सुहावना और सुन्दर पालूम होता है परन्तु जहरसे भरा हुआ है ॥ महाशयो! आपको यह प्रसिद्ध को मालूम है जिसमें यह लिखा है कि कपिल मुनिने स्यूमरश्मिसे शास्त्रार्थ किया था. कहते हैं कि एक विद्यार्थी अपने विद्याध्ययनको समाप्त करके अपने पर आया। उस समयमें ऐसी रीति थी कि जब कोई विद्यार्थी वेद पढ़कर घर आता था तो उसके आदरसत्कारमें एक गायका बलिदान दिया जाता था कपिलने इसको रोका फिरस्यूमरश्मिने गायके पेटमें घुसकर कपिलसे शास्त्रार्थ किया. निस्सन्देह यह बात बतलानेकेलिये यह एक बहुमूल्य कथा है कि कपिलमुनि उन प्राचीन ऋषियाम से एक थे जो यज्ञ या किसी और मतलबके लिये चाहे वह कुछ भी क्यों न हो जीव हिंसाका निषेध करते थे, और जो अहिंमाको सत्यधर्मकी मुख्य जड़ बतलाते थे। सांग्न्यकारिकामे केवल यज्ञकी जीव हिमाका ही निषध नहीं किया है बल्कि अग्निमें बीज डालनेको भी बुरा बतलाया है: सह्यविशुद्धिक्षयातिशययुक्तः (सांख्यकारिका २) टीका-अविशृदिः सोमादियागस्य पशुबीजादिवधसाधनता ॥ अर्थ-सोम आदि यज्ञ पशु और बीजादिकोंकी हिंसा करनेसे सिद्ध होते हैं । इस कारण व अशुद्ध है ऐसा मालूम होता है कि सांख्य मतके माननेवालोंने भी जैनियोंके समान बीजोंके नाश करनेका निषेध किया है। महाभारतमें भी बहुतसे स्थानों में लिखा है कि प्राचीन ऋषियोंकी यह राय थी कि ___ अहिंसा धर्म ही सत्यधर्म है । इस पवित्र ग्रंथसे अहिंसा धर्मका अत्यावश्यक कथन शांतिपर्वके मोक्षधर्ममें तुलाधार नामक एक बणिकपुत्र और जाजलिनामक एक ब्राह्मणका सम्बाद है । जाजलीने बहुत समयतक तप किया था और बडा २ देखो महाभारत शांतिपर्वमें कपिलगो सम्बाद. महाभारत
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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