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________________ ( ४१ ) प्रा० कर गिपि पुत्रेण स० शुजकर जा० पद्मिन्याः पु० लक्ष्मीसेन हालू जनन्याः भेषोथं श्री संजवनाथ विंवं का० भी खरतर भी जिनच सूरि पट्टे श्री जिनचंद्र सूरिचिः प्रतिहितं श्रेयोस्तुः ॥ [187] सं० १५६१ बर्षे वैशाख सु० १० दिने श्रीमाल ज्ञातीय गोत्रे मोठिप्पा सा० रणमल पुत्र सा० दीपचंद जार्या जीवादे कारितं । श्री खरतर गछे जहारिक श्री जिनहंस सूरि गुरुज्यो नमः ॥ प्रतिमा श्री शांतिनाथ बिंवं कारितं ॥ पाषाणके चरण पर | सं० १६४५ बर्षे बेशास्त्र सुदि ३ गुरौ भी बर्द्धमान जिनस्येयं पाडुका कारा [188] 5--1 - |-- [189] रुपचंद पुत्र जसराज प्रत्येध कर्या - ॥ संवत १७७२ बर्षे माद सुदि १३ दिने सोमवारे श्री पुएफरक चरण कमल राडुके मध्यके चरणपर। [180] " ॥० ॥ स्वस्ति श्री मंगल | श्री गौतमस्वामिनोलब्धिः संवत १६ए वैशाख सुदि ५ सोमवासरे || श्री विहार नगर कचरव्य श्री कूपन जिनेश्वर प्रथम पुत्र श्री नरत चक्रवर्त्ति राजान सुरु मंदिर संतानीय मदतीयाण ज्ञाती मुख्य चोपड़ा गोशीय संघनायक मं० संग्राम | राह दिया गोत्रीय संघ० परमाखन्द प्रमुख श्री वृत्त खरतर गष्ठीय नरमणि मकित जालस्थल श्री जिनचंद्र सूरि प्रतियोषित महतीयाण श्री संघ कारित श्री वीर जिन निर्माण जूनि श्री पायरी समीपवर्त्ति वरविधानानु पर श्री बीर जिन प्रासाद
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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