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________________ (५३) [177] संवत १९५४ मिति माघ कृष्ण ५ नोमे श्री गुण शिखास्ये येत्ये श्रीगड़ प्रतापसिंह बीकानां जागी महताव कुंवर तत्कृक्षितात्पन्न कनिष्ठ पुत्र श्री राय धनपतसिंह बहादुर नाना खपली प्रागनंबर जन्म सफसी करणार्य श्री श्रष्टापद तीर्थे श्री शत्रुजय निकाय मानतया श्री थादि जिन चरण का कारापिता श्री जिनजति सरि शाखारां सदा मान गणिना प्रविधिनं शुजा [17] सं० १९३० माघ शु० ५ सय संघेन श्री वीर पाका काराप्ति स्थापितं श्री गुष शोध चेत्ये धात्महिताय ॥ पाषाण पर। [1781 सं० १५ मिती माघ कृष्ण ५ जोमे गुणशी चले शुगड़ गोने श्री प्रासिंगजी रुतमार्या मदताव कुंवर तत्पुत्र चिरूराय बहादुर तत् अयम परली प्राकुंभर जन्म साफस्य कापिता जीणोद्धार । उ० श्री बाणंद बसन गणि ततशिष्य श्री समरचंद मणि उपपेशर ॥ श्रीः ॥ शुजंजूयात् । [ 1800 -- श्री जिने जगती । वस्ती भोमर वीर जिन सं० २४१ वि० सं० १९५ए बर्षे वे० वद०० बुधवारे भी तपा गछामनाय धारक मुश्रावक दसा श्रीनाछ ज्ञातीये सा. उपचन्द रंगीबदास देवचन्द पाटनशाखा हाख मुकाम रोवला मुंबई ये दनना स्मार्य तत बन्धु चतुर चन्द मत वेख बन्द पास चन्द भाग बन्द जब-३॥ श्री गुणशी त्ये या
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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