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________________ सूरा ना सूरमादे सा० श्री रङ्ग सदारङ्ग थमीपलादि कुटुम्ब युसेन साह स चवीषण श्री सुमतिनाथ बिवं कारित प्रतिष्ठितं श्री तपा गछे श्री विशाखसोम सरि शिष्य श्रीश्री५-- सुरिजिः। [158] छींकार यंत्रपर। सम्बत १६६ए बर्षे शुक्तपदे त्रयोदशी दिने शुक्रवारे श्री मूलसंधे सरस्वति गळे व कार गणे चंपापूरी नगर शुजस्थाने --- 1159] सम्बत १६७३ वर्षे मूलसंघे ज० श्री रत्नचंड उपदेशेन उपा० श्री जयकीर्ति प्रतिष्ठित - ग्रामे समस्त श्री संघेन काराप्तिं । बाबु सुखराज रायजी का घरदेरासर - नाथनगर पाषाणके मूर्तिपर। [ 160] सं० १७७७ माघ सुदि १३ बुधे श्रोस वंशे कगरा गोत्रीय साला जमनादास तन्नार्या धासकुवर तथा श्री वासुपूज्य जिन विवं कारितं मुनि हेमचंयोपदेशात्प्रतिष्ठितं श्री बृहत् खरतर गछीय श्री जिन ---- । पञ्चतीर्थीयों पर। [161] सं० १५१५ --- मंत्रिवलीप श्री काणागोत्र व साधू ना पम्मिणि पु० स०
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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