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________________ - " भी जिन रिधि पद खरतर गडे बजिमना पास्तव्य कारित गोखन गोत्र-- -मालिकमा कारित (शान्तिनाथ ३ । जाड ।। पिमखनाप ---अजयराजेन मेनोपं ।) [148] सं। २०५६ फागुष कृष्ण प्रतिपलयो श्री वासुपूज्य जिन परण न्यासः । सबै परिभिः। कारित । सर्व संपेन । पानगर मध्ये । [144] ॥ संबत । १०५६ वैशाख शुक्ल पके तृतीयायां तियो श्री जिनकुशन सूरि पाठक । प्रतिष्ठितं नः श्री जिनवं सूरिभिः बृहत खरतर गछे कारित । समस्त श्री संनि अयोप। [145] . संवत ११ मिति माग शुक पव्यां शुक्रवार काष्ठासंघ माथुर गई पुस्कर गणे लोहा चार्यानाय नहारक श्री जगत्कीर्ति सदानाय अपोत कान्वये पिपल गोत्रे प्रयाग नगर वास्तव्य साक श्री हीराबास पुत्र रुपजदास पुत्र सलाख ----अगरवाल प्रजा सा --श्री पद्मन ---प्रतिष्ठा कारिता । [1463 संरए०० आषाढ शित ए गुरौ श्री संभवनाथ तिं प्रतिष्ठित वृहत --- सूरिजि: कारितं च गड सरूपचंद बात करमचंद हुलासचंद जननी प्राण बीबी भयोर्ष । [1471 संवत १९०७ वर्षे मिः फागुण सुवि३ दिने । श्री शान्तिनाथ विवं कारित मकसुदावाद वास्तव्य श्री संपेन श्रेयसे प्रतिष्ठितं च ज । श्री जिनहर्ष सूरि पशखबार जा भी जिन सोजाग्य सूरिभिः पृहत् खरतर गर्छ ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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