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________________ (11) झातीपरब शाखायां सा भी कर पाया भी सिरा भादि सुत सा सोपसी भार्या भी संपुराई पुत्र रल सा शवराज माना श्री आदिनाप विवं कारित खप्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापित प्रतिष्ठित तपा गाभी विजयव सूरिनिः॥ जीवनदासमी का परदेरासर-हरिसनरोड । [131] सं १५७५ बर्षे जे०१०११ रोपणरी नार्या मच सुतसा 30 बराकेन खगिनी भयोथं श्री पानाच विवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री मसपागडमंडन भी सोमसुन्दर सूरिभिः । [132] . सं १५७७ व वेशाख सु० १३ दिने श्री श्रीमाली श्रेणबहजा मा बहजादे पु० सा करणसी जाप जीवादे काना सहितेन श्री शांतिनाथ विवं का० प्र० पूर्णिमा पर्ने श्री मुनि चन्द सूरिनिः परजा पाय॥ [138] सं १६०४ बर्षे बैशाख बदि ७ सोमे श्री उसवाल शातीय सा देवदास जार्या वाण देव लदे तत्पुत्र साश्री रतनपाल जाणवाण रतनादे सपरने सा० जावड़ जावा जासखदे तस पुत्री वा जीवण श्री धरमनाथ श्रा० - जिदास परिवार वृतैः । ४७ न० ईमियन मिरर स्ट्रीट-परमतता। भी रलप्रम सूरी प्रतिष्ठित मारवाड़ के प्रसिद्ध उपदेश (ओसियां) नगर की भी महावीर स्वामीके मन्दिरके पार्च में धर्मशालाकी नींव खोदने में मिली भई भी पार्श्वनाथ जी के मूत्तिके परकरके पश्चातका लेख । [134] उ संपत १०११ पेत्र सुदि६ श्री ककाचार्य शिष्य देवदत्त गुरुणा उपकेशीय चेत्य रहे बखयुज् चैत्र पठयां शांति प्रतिमा स्थापनीया गंधोदकान् दिवालिका जामुख प्रतिमा इति ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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