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________________ १.२४) [98] सं० १५०६ बर्षे पोष सुदि ५ उस वंशे चत्तकरीया गोत्रे सा० पाइदेव पाकरण पुत्र सामल भार्या नयणादे पु० श्रीवन सहिता प्रारम पुण्यार्थ श्री श्रेयांस विं का०प्र० --र्षि गछे भो नयचं सूरिनिः। [90] सं० १५०६ वर्षे पोष सुदि १५ सोमे उपकेश वंशे श्री काकरिया गोत्रे सं० सुरजन मा. चंनी पुत्र श्रीरङ्गेन यात्म श्रेयसे निज मातृ पितृ श्रेयसे श्रीचंपन विवं का०प्र० श्रीकृर्षि गर्छ श्री नपचं सूरिजिः॥ [100] सं० १५१० वर्षे फागुण बदि३ शुक्र श्री श्रीमान ज्ञातीय उर भरणी नायर्या वाई गाड़ी सुत उकुर मांगण नार्या पाई अरघू तेन खकुटुम्ब श्रेयसे श्री आदिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं पागम गठे श्री जिन रत्न सुरिनामुपदेशेन ॥ श्रीरस्तु कल्याण ॥ [1013 सम्बत १५१३ बर्षे मा० सु०६ रबी उसवाल ज्ञातीय बहुरा गोत्रे सा स्वीमा पुत्र परषा जा वासहदे स जात रहा श्री बिमखनाथ किंवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री चित्रवाल गर्छ श्री दाणाकर सूरिभिः । [ 102] सं० १५१४ बर्षे थापा बदि १३ दिने बपुडाणा गोत्रे तुंमिला गोत्र सुत देवराजेन पु० पहगज युने विवं का०प्र० श्री सर्वानन्द सुरिनिः। [ 103] सं० १५१ए. वर्षे धापाढ़ सुदि १० मंत्रिदलीय श्री. काथा गोत्रे बापू जाधर्मिष
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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