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________________ ( १३ ) श्री आदिनाथ विकारिसं प्रतिष्टितं श्री खरतर मछे श्री जिनसागर सुरि पट्टे श्री जिम सुन्दर सूरि पहालङ्कार श्री जिन सुखिरैः ॥ श्री ॥ [49] सं० १५२३ वर्षे वैशाख यदि ४ गुर्गे श्री उपकेश बंशे स० देख्दा जार्या डूब्दादे पुत्र वा सुभान के नाय मेनू पुत्र जयजस्ता पौत्र पूना सहितेन स्वश्रयसे श्री अचल गलेश्वर श्री जब केसर सुदेशेन श्री सम्जवनाय बिंवं कारितं प्रतिष्ठितं श्री संघेन । [ 50 ] सं १९२४ वर्षे मार्गश | सुदि १० शुक्रे उपकेश ज्ञातौ । थादित्वनाग गोत्रे सं० गुणधर पुत्र स० काला जा० कपूरी पुत्र स० क्षेमपाल जा० जिणदेवाइ पुत्र सा० सोहिलेन जातृ पास दत्त देवदत्त जायी नानू युतेन पित्रोः पुष्यार्थ श्री चंद्रप्रन चतुर्विंशति पट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्री उपदेश गठे कुदाचार्य सन्ताने श्री कक्क सूरिजिः श्री जट्टनगरे ॥ [51] सं १५१५ बर्षे ज्येष्ठ व० १ शुक्रे उपके पत्तन बास्तव्य सा० देवा जा० कपूरो पु० सा आसा जा० नाऊं पु० दर्पा जा० मनी जा० साइया रत्नसी सा० आसकेन रत्नसी नमि० श्री वासुपूज्य विं उपश० श्री सिद्धाचार्य सन्ताने अज० श्री सिद्ध सुरिजिः ॥ [ 52 ] संवत १५२७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ८ सोमे प्राग्दा झातीय बु० गांगा वु० मुजा पुत्र वु महिराज जा० रमाइ श्राविकया श्री वासुपूज्य बिंवं कारितं श्री खरतर गछे श्री जिनसागर खुरी श्री जिनसुन्दर सूरि पट्टराज श्री ३ जिनद सूरिजिः प्रतिष्ठितं श्रीरस्तु कख्याणं भूयात् । [53] सं १५३४ वर्षे उपकेश ज्ञातीय बॉन गोत्रे समवी जाटा जा० जयंतलदे पु० माषिक
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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