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________________ (२६३) बाछलदे ससारदे पत्र कोठारी तेज पाल राजपाल रतन सी रामदास महंस कर्णपीसरवा ग्रामे श्री माहावीर प्रासादे देहरी करापित कोठारी तेजपाल अयोथै श्री तपा गच्छे श्री हेम विमल सूरि सरपई श्री आंणद विमल सूरि तत्प भी विजय दान सू. शुभं भवतु कल्याणमस्तु । मो। संवत् १५.३ वर्षे माह वदिशुक्रे श्री सिरोही नगरे रायि बी दूर्जण सालजी विजय राज्ये प्राग वंशे सा थाथा भार्या गांगादे पुत्र सा - मा भार्या कसमीरदे पुत्री रसी पीडर वाडा ग्रामे श्री माहावीर प्रासादे देहरी फरापितं बाई गांगादे अयोर्थ श्री सपा गच्छ श्री कमल फलस सूरि सुमं भवतु कल्याणमस्तु । ( 860 ) ओं । संवत् १६१२ वर्षे भागुण यदि ११ शुळे श्री सिरोही नगरे माहाराज श्री उदा सिंघ जी विजय राज्ये प्राग वंशे कोठारी छाछा मार्या हंसलदे पुत्र कोठारी श्री पाल भार्या लाछलदे पुत्र रामदास करण सी सहस करण- - -पीडर वाड़ा ग्रामे भी माहावीर प्रासादे देहरी करापितं श्री तपा गच्छे श्री हेम विमल सूरि तत्प माणद विमल सुरि-.-- ( 51 ) मोनमः श्री वर्द्धमानाय : प्राग्वाट वंशे ध्यवहारि सागा सूनुः प्रसनोज्वल कांत कारिः। श्री पुण्य पुणा जनि पूर्ण सिंह स्वस्य प्रिया जाल्हण देवि नाम्नी ॥१॥ मदर भट्टारत रोरु -- -- -- कलापः किल कुर पालः । जाया धर्म मोदिकन्दो प्रमुक्ता तस्या अवकामल देवि नाम्नी । २ ॥ सदयो २ वामामृतैः सुहिती लोक हितो सतां मतिः ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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