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________________ (१०) [38] . संबत १५३४ वर्षे --शु०३ दिने सा० अरसी नाया रानू पुत्र साप खूणाकेन जायटीस प्रमुख कुटुंब युतेन खश्रेयसे श्री धर्मनाथ विंबं कारापितं प्रतिष्ठितं तपा गछे श्री लक्ष्मी सागर सारजिः पान विहार नगरे ॥ 137] संवत ११३३ वर्षे माह सदिदिले जारले वागाने सापकोड़ा जा सोनी पु० साह सोहा संहालीहा ना हो. अयोधय श्री सुनाथ वि कारित प्र श्री कारंट गड धी --- सूरिनिः । संघात याद दिलासाद उसडा नात्र साद श्रीयंत्र पुत्र चौतारा चाय सजा राय माजा माची केशी युर ना होगा पदहा शकलन का बनाया साह मानाद माद राम गायत बकरती । लामोत्या पुत्र महिला काममा लायो उदए पुन लद मा संसार आसधर जागा हामी सिकाराय IN THE RID मा सपना उन । प पुनरोदा जालगन राया भावान साथ भी शांतिनाथ चीन का to श्री शेष पासवान सूरि पो कामना की लपटे श्री चना : गत १४८५ बर्ष अष्ट बाधिए शामिक र सा भीडा त टाडा पुत्र लाटा दाग रग सुकनान्या टाटा पितव्य सा सहा पर श्री पाक्षिनाथ वि कारित प्र वृदयीय श्री यमरमान भूरिनिः ।। शुने निरन्तः । 2017 संगतः १५१५ वैध ब ५ वानरी ग्रामे प्रग्बाट सा थासा नारा संसारी पुत्र साद
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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