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________________ (२१६ ) ( 923 ) सं० १६३० वापि वैशाख वदि दिने श्री वहड़ा ग्रामे उसवाड सुते गोत्र सोलाकी बाधणे सागासाहा भी दामा• खेमलदे पुत्र राजा भार्या सेवादे पुत्र माना कमरसी भी कुंथुनाथ विवं श्री हीर ( 924 ) सं० १५३० वर्षे सा०व०६ प्राग्वाट ज्ञाति ध्य० चाहड मार्या राणी पु० व्य० वेला प्रमुख कुटुम्ब युतेन स्व श्रेयसे श्री संभवनाथ विवं का.म. सपा श्री लक्ष्मी सागर सूरिभिः चुंपरा ग्रामे ( 925) सं० १६३० वर्षे वैशाख पदि दिने श्री वहड़ा ग्राम उसवाल ज्ञातीय गोत्र तिलहरा सा. सूदा भार्या सीहलादे पुत्र नासण वीदा नासण भार्या न काग देवीदा भार्या कनकादे सुत वला श्री आदिनाथ विवं कारापित श्री हीर विजय सूरिभिः प्रतिष्ठितः । ( 926 . ) सं० १५१५ वर्षे माघ शु. १५ उकेश लोढ़ा गोत्र सा. कांत श्रा० कपूरी सुत सा. वीरपालेन मा० गांगी पुत्र पनर्वल कर्मभी भातृ दिल्हादि युतेन पा संमबनाय विवं, कारित प्रतिष्ठितं तपा श्री रत्न शेखर सूरिभिः । (827) सं० १९२३ वर्षे वैशाख मासे शुक्रवारे १. तिथो इहर नगर वास्तव्य उसवाल ज्ञातीय। मं० श्री। उहुआ सुत मं• जसा मं श्री रामा महा भाधेन भार्या रला। दमकदुआ
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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