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________________ (२४३ ) ( 910 ) संवत् १९८५ वर्षे मा.व. गुरी भ. लठांक श्री माण विप्र मा. विजयदेव सूरिभिः । ( 1 ) चौमुखजी का मन्दिर। संवत् १९८१ वर्षे प्रथमा चैत्र वदि ५ गुरौ श्री श्री मुहपोत्र । गोत्र सा० जेसा मार्या जसमादे पुत्र सा. जयमाल भार्था सोहागदेवी श्री आदिनाथ विवं कारित प्रतिष्ठा महोत्सव पूर्वकं प्रतिष्ठितं च श्रो तपा गच्छे श्री विजय देव सूरीणा मादेशेन जय मागर गणिना। हरजी यह मारवाड़के जालोर के पास गांव है। ( 912 ) संवत् १२३१ मार्गा सुदि - R० शांति शिष्येण नेमिचंद्रप आत्म अयार्थं प्रदरः । ( 1 ) संवत् १५१० वर्षे ज्येष्ठ सुदि ३-वा० श्री मुनिशेषर शिष्य दया रत्न श्री वीरस्य स्कया केकृत ( 14 ) संवत् १५१७ वर्षे फागुण सुदि ११ दिने रा. श्री विलास म. सोम रात्रे पाः - -
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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