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________________ ( २३१) होदूनां घरोस। उस्थापे तियेनु गाईरो--सुस। तुरक उत्थापे तियेनं सुयररी संस बले ..... को उथाप जो- - - गांव नाणारो चढियो गांव वीषलाणे--वो-सि-ए। इजाएन - गांय - दम १ घेटियो- -- - तको उधाप जो। वोजोको उथापसी तिणनु गदहउ गाव महता श्री नारायण मार्या नवरंगदे तत्पत्र मु० श्री राज -- जणयल -.. दा पुत्री जपपी... नाराइण विजी मार्या नवलदे पुत्र जसवंत १ सहितं श्री... गच्छे सहारक श्री सिद्ध सूरि विद्यमाने--..श्री ...-चंद शिष्य चांपा लिषितं । ए--- जको - - - सिणु - - - - । लालराई। मारवाड़के वाली जिलेके समीप इस ग्रामके एक प्राचीन खंडर जैन मंदिरमें यह लेख है। ( 891 ) संवत् १२३३ वैशाख सुदि ३ संनाणक मोक्ता राज पुत्र लाखण पाल राज पुत्र अभय पाल तास्मन राज्ये वर्तमाने चा० भीवड़ा पड़ि देह बसी सू० आसपर समस्त सीर सहित खाडि सीर जव मध्यात् जवा से १ गूजरी जात्रा निमित्त श्री शांति नाथ देवस्य दत्ता पूण्याय य: कोपि लुप्यते स पापोन छिद्यतेमंगल भवतू ॥ तथा अड़िया उम अरह आसधर सीरोइय समस्त सीरण जवा हरीषु १ गूजर तयात्रहि वील्हस्य पुण्याचं ॥ १॥ (892) ॐ॥ संवत् १२३३ ज्येष्ठ बदि १३ गरी अयोह भी मडूले महाराजाधिराज श्री केरहण देव राज्ये व मानः श्री कीर्तिपाल देव पुत्रै सिनाणकं मोक्ता राज पुत्र लाषण
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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