SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २१६ ) श्री नंदकुलवत्यां पुर्या सं० ९६४ श्रो यशोभद्रसूरि मंत्र शक्ति समानीतायां त० सायर कारित देव कुलिकाबुद्वारितः सायर नाम श्री जिन वस्यां श्री आदीश्वरस्य स्थापना कारिता कृता श्री शांति सूरि पट्टे देव सुंदर इत्यपर शिष्य नामभिः आ० श्री ईश्वर सूरिभिः । इति लघु प्रशस्तिरिय लि० आचाय्य या ईश्वर सूरिणा उत्कीर्ण सूत्रधार सोमाकेन शुभं ॥ (853) संवत् १६७४ वर्षे माघ यदि १ दिने गुरु पुष्य योगे उसबाल ज्ञाती भण्डारी गोत्र • सायर तुत्र साहल सत पु० समदा लषा धर्मा कर्मा सोहा लखमदा पु० पहराज प्रद मान गम भार्या तत् पु० । भीमा में पहराज पुत्र कला मं० नगा पुत्र काजा मं० पदमा पुत्र जईचन्द्र मं भीमा पुत्र राजसो मं वाला पुत्र सकर उसबाल: जैचन्द्र पुत्र जस चंद जादव । मं० सिवा पुत्र पूजा जेठा संयुतेन श्री अदिनाध विंवं कारित प्रतिष्ठित तपा गच्छाधिराज भटा० श्री हीर विजय सूरि तत्पटालंकार श्री विजयसेन सृरि ततपटालंकार भटारक श्री विजय देव सूरिभिः । ( 854 ) महाराजाधिराज श्री अभय राज राज्ये संवत् १७२१ वर्षे ज्येष्ट सुदि ३ री श्री नडुलाई नगर वास्तव्य प्राग्वाट ज्ञातोय वृ० सा । जीवा भार्या जसमादे सुत सा । नाथान श्री मुनि सुव्रत विवं कारापितं प्रतिष्ठित च । महारक श्री हीर विजय सूरिभिः । ( 855 ) संवत् १७६८ वर्षे वैशाख सुदि २ दिने ऊकेश ज्ञान १ बोहरा काग गोत्र साह ठाकुर सी पुत्र लाला हेत सुवर्णमये कलस करापितं श्री आदिनाथजी सेतरभेद पूजा गुहिलेन संप्रति प्रतष (प्रतिष्ठितं) माणिक्य त्रिजै शि० जित विजय शिष्य ॥ कुश विजय उपदेशात् शुभे भूयात् ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy