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________________ ( १७९ ) घरणा एवं श्री आदिनाथ मुख्यश्चतुर्विंशति पट्टः कारितः पुनिम पक्ष साधु रस्न सूरिणामुपदेशेन प्रतिष्ठित शंडलि वास्तव्यः । ( 746 ) सं० १५२० श्री मूल संघेन महारक श्री विजय कीर्त्ति श्र० सभा मंडप । ( 747 ) रहन ॥ ॐ ॥ संवत् १६७६ वर्षे माघ सुदि १५ रात्र वासरे खरतर गच्छ भहारक श्री जिन - पुष्य नक्षत्रः राऊत श्री उदयसिंहजो विसरि विजय राज्ये जयराज्ये ॥ श्री सुमतिनाथ रउ नवत्रु कीउ श्रो संघ करावउ सूत्रधार पीसा पुत्र नवा नववु कीउ । सूत्रधार नारयण नट संघ धन । ( 748 ) सं० १९२६ वर्षे भद्रपद कृष्णपक्ष ७ बुध - वृहत्खरतर गच्छे भहारक श्रीमगत सुर रावतजी श्री वाकीदासजी जुहारसिंग विजय राजे श्री सुमतनाथजीशिणगार कीधी. --| --| ( 749 ) ॥ ॐ ॥ संवत १३५२ वैशाख सुदि ४ श्री वाहडमेरी महाराज कुल श्री सामंत सिंह देव कल्याण विजय राज्ये तन्नियुक्त श्रो करण मं० वीरामेल वेलाउल भा० मिगन प्रभुत बोधं अक्षराणि प्रयच्छति यथा । श्री आदिनाथ मध्ये संविष्ठमान श्री विघ्नमर्दन
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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