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________________ (११ ) सहस्रकूट पर। ( 708 ) सं० १५५१ व० वैशाख पदि ११ सोमे से जावि भा० जिसमादे पु० गुणराज मा. सुगणादे पुजगमाल प्रा० श्री बच्छ करावित ( उत्तर तर्फ) वा. गांगांदे नागरदात वा. साडापति प्रो मूजा कारापिता मा० मीत्तवि० रामा० मा० कम --- । (709) संवत १५५२ ब० मिगशर सुदि गुरु दिने श्री पाटण वास्तव्य ओस वस ज्ञातीय म. धणपति मा. चांपाई भाई मं० हरषा मा. कीकी पु. मं. गुणराज म० मिहपाल । करावत ॥ ( 710) सं० १५५६ वर्षे वे. सुदि ६ शनी श्री स्तम्भतीर्थ वास्तव्य श्री उस वश सा० गणपति भा. गंगादे सु० सा० हराज मा. धरमादे सु० सा. रत्नसीकेन भा.कपूरा प्रमु० कुटुंब युतेन राणपुर मंडन श्री चतुर्मख प्रासादे देव कुलिका का--- श्री उसबाल गच्छे श्री देव नाथ सूरिभिः। ( 711 ) सं० १५५६ वर्षे वै० सुदि ६ शनी श्री स्तभ्मतीर्थ वास्तव्य श्री उसवंश सा० आसदे भार्या सपांड सुत सा० साजा मार्या राजी सुत सा. श्री जोग राजेन भ्रातृ सभागा स्वमार्या प्रथ० सोवती देती० सं० अखा ---सहजो सा० माकर प्रमुख कुटुंब युतेन
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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