SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 194
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १९७) पाषाण और धातुओंके मूर्ति पर। (701 ) सं० ११८५ चैत्र सुदि १३ श्री ब्रह्माण गच्छे श्री यशोभद्र सूरिभिः --- स्थाने देव सरण सुत बीशके ---श्री गुह .. कारिता। ( 702 ) संवत १२९० वर्षे माघ सुदि ५ सुक्र में बढ़पाल श्री. जगदेवाभ्यां श्रेयोर्थे पुत्र सामदेवेन भातृ पून सिंह समेतेन चतुर्विंशति पह कारितः प्रतिाप्ठतं यद्गच्छीयैः श्रो शांति प्रम सूरिमिः। ( 70 ) संवत ११६८ वर्षे सा• साजण मार्या सिरिआदे पुत्र चांपाकेन भार्या चापल देव्यादि कुटुम्ब युतेन अनागत चतुर्विशत्यां श्री समाधि विवं का० प्र० तपा श्री सोम सुन्दर सूरिभिः । (704) । संवत १५०१ ज्ये. सुदि १० प्राग्वाट व्य. करणा सुत रामाकेन मार्या तीचणि युतेन श्रो क सुमतिनाथ विवं कारित प्र. तपा श्री सोमसुंदर शिष्य श्री मुनि सुंदर सूरिभिः ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy