SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ११.) सा० आसा प्रमुख कुटुंब सहितेन स्वश्रेयोर्थ श्री अंचल गच्छेश श्री भाव सागर सूरीणा मुपदेशेन श्री अजितनाथ मूलनायके चतुर्विंशति जिन पह कारितः प्रतिष्टितः श्रीसंघेन। ( 569 ) सं० १५७० वर्षे आ० सु० ३ सोमे ओसवाल ज्ञातोय चंडलिआ गोत्रे सा० सारिग पुत्र कालू भा० हामी पु. हासा देवा गणाया भार्या दमाई प० साह विमलदास सा. हरवलदास सा. विमलदास मा. सोनाई पु० सुन्दर वच्छ रिषामदास भार्या अमरादे सुत अमरदत्त पूर्वत भु० श्री सुविधिनाथ विवं कारितं प्र. श्रीमलधार गच्छे १० श्री गुण सागर रिपट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरि प्रतिष्ठितः ॥ ( 600 ) सं० १८२१ मि. वै० सुदी ३ श्री पार्वजिन-म० श्री जिन लाभ सू० यति हीरानंद कपितं। देविजीके मूर्तिपर। (४ भूजा+ सर्प छत्र) .( 601 ) सं० १४७२ वर्षे ज्येष्ठ वदि १२ सोमे वीजापूर वास्तव्य नागर ज्ञातीय ठा• अवासुत घरणाकेन कुटुंव सम-- अयोर्थ देवो वेइरुठा० रूपं प्रतिष्ठापित। (600) ( 602 ) सं० १५५४ माह सुदि ५ दिने उ० ज्ञातीय मंडोवरा गोत्रे सा० पासवोर पु० सा० सूरा भा. सूहवदे पु० सा० श्रीकरण सा०शिवकरण सा. विजपाल श्रा० सहवदे आत्मपुण्यार्थ श्री शांतिनाथ विंवं का०प्र० श्रीधर्म घोष गच्छे १० श्रीपुण्यवर्द्धन सूरिभिः।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy