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________________ ( १२७ ) ( 542 ) सं० १६८३ वर्षे आषाढ़ वदि ? गु० उसवाल ज्ञातीय वेद महता गोत्रे म० प्रयरव भा० भरमादे पुत्र मे० सुरताणाख्येन श्री सुविधिनाथ विंवं का० प्र० तपा गच्छे भ० श्री विजयदेव सूरिभिः ॥ ( 543 ) संवत १६८० वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ गुरौ मेडता नागर वास्तव्य उसभ गोत्र को० जयता भार्या जसदे पुत्र को० ० दीपा धनाकेन श्रीपार्श्व वि० का० प्र० तपा गच्छे भ० श्री विजय देव सूरिभिः स्वपद स्थापित श्री विजयधर्म - सू -- श्री संभवनाथजी का मन्दिर । ( 544 ) सं० १२९० माह सुदि ९० ० घन्नल सुत्त जैमल क्षेपोर्थं -- कारितः ॥ (545) सं० १३७९ वर्षे वै० वदि ५ गुरौ प्राग्वाट ज्ञातीय महं कंधा भार्या --- पुत्र माहह श्री शांतिनाथ वि० का० प्र० श्री महेंद्र सूरिभिः । (546) सं० १४५१ माघ शु० १० प्राग्वाट सुंदर सूरिभिः । 1 स्व श्रेयसे पद्मप्रभ विंवं का० श्री सोम
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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