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________________ ( १२० ) (508 ) सं० १४९२ वैशाख सुदि २-- ओसवाल ज्ञातिय भूरि गोत्रे -- श्रीश्रेयांस विंवं का. प्र० श्री धर्मघोष गच्छे श्री श्री महेन्द्र सूरि प्र० --। (509 ) ... सं० १५०९ माघ सदि ५ श्री केश वंशे चोपड़ा गोत्रे सा० ठाकुरसी सुत सा. कालू केन पुत्र मेघा माला नाल्हा पौत्र सुरजन प्र. परिवारेण स्वयोर्य श्री विमल विवंका. श्रो खरतर गच्छे श्री जिनभद्र सूरिभिः प्रतिष्ठितं । (510) 'सम्बत् १५१७ वर्षे फाल्गुण सुदि ६ गुरौ श्री श्री माल ज्ञातीय मंत्रि पोपा भार्या पाल्हणदे सुन मणयाकेन मार्या सोहासिणि सुत उधरण प्रमुख कुटुंब सहितेन मातृ पित अयोथै आत्म अयोर्थं च श्री संभव नाथ चविंशति पहजीवत स्वामी नागेन्द्र गच्छे श्री गुण समुद्र सूररुपदेशेन आचार्य श्री गुणदेव सूरिभिः प्रतिष्ठितं च चिमणीया वास्तव्यः । श्री। (bll ) सं० १५-५ फा० वदि ( सोमे प्रा. ज्ञा० -- सा० घेरा भा० पूजी पुत्र पूना भा० ललतु पुत्र तोला पु० कर्मसिंह श्री संभव नाथ विंवं कारितं प्र० श्रीसर्व सूरिभिः ॥ (51:2 ) सं० १६०५ फागुण सुदि दशमि समेत सिखरे प्रतिष्ठितं मागपत्नी त्वरमिनी पुत्र षवू लघु एनमल गुरु श्रीजिन भद्र सूरि --
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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