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________________ (९६) (395) संवत १६०८ वर्षे माघ वदि ९ गुरौ प्राग्वाट ज्ञाती सा० राघव भा० रतना सा० नरसीमा भा० सुजलदे सा० रणमल भा० वेनीदे सुत लाला सीमल श्री संतनाथ विंवं प्रविष्ठितं । म्युनिक (जर्मन) के जादुघरके धातु की मूर्ति पर । ( 396 ) सं० १५०३ वर्षे माघ वदि १ शुक्रे उ० गोष्टिक आल्हा भा० शृंगारदे सुख सुडाकेन भा० सुहवदे स० आत्मश्रेयसे श्री पार्श्वनाथ विंवं कारि० प्र० जरापल्लिय श्री शालिभद्र सूरि पट्ट े श्री उदय चन्द्र सूरिभिः शुभं भवतु । डाः कुमार स्वामिके पास ' समवसरण' के चित्र पर । (397) संवत १६८० वर्षे प्राद्रव शुदि २ श्री मदुत्तराध गच्छे आचार्य श्री कृष्ण चंद विद्यमाने ठिः ऋषि ताराचंद शुभं भूयात् कल्याणमस्तु ॥ छ ॥ मेः लुवार्ड के मध्य भारतसे प्राप्त धातुकी मूर्तियों पर । ( 398 ) सं० १५२७ पौष वदि ५ शुक्रे प्राग्वाट ज्ञातीय श्र० सहिजक तत्पुत्र थे ० डूंगर प्रा० मा० सुडि सपरिवार प्रा० सहिजलदे घरमसि करमण आदि पुत्रादि युतेन पुण्यार्थं श्री कुंथुनाथ विंवं का० तपागच्छे श्री लक्ष्मी सागर सूरिभिः प्रतिष्ठितं ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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