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________________ ( २ ) (327) नेमनाथजीके विवपर । ॥ सं० १९१० मार्च शु० १४ शनौ काष्ठासं (घ) माथुर गच्छ पुष्कर गण लोहाचार्य याम्नाय प्र० देवेंद्र कीर्त्तिदेव सत्पहं भ० जगत् कीर्त्तिदेव तत्पदे में ललित कीर्त्तिदेव सरपदे प्र० राजेन्द्र कीर्त्तदेव हदाम्नाय अग्रोत् कान्धय वासिल ग श्री सोषीलाल तत्पुत्र बाबु मुनिसुव्रत दासेन श्री जिनालय पूर्वक श्री जिन विंवं मातष्ठा कारापिता आरामपुर वास्तव्य - स्य रामसरा मध्ये श्रीरस्तु ॥ श्री ३ ॥ 154 ( 328 ) ॥ श्री संवत १९१० शाके ॥ १७७५ साल मिली वैशाख शुक्ल पंचम्यां गुरौ पाटलीपुर सर जिनालय पूर्वक श्री श्री नेमनाथ मंदिरजी जेसबाल माणकचन्द तत्पुत्र मटरू म तत्पुत्र सीवनलाल प्रतिष्ठा कारापितं श्रीरस्तु । ( 329 ) श्री स्थूलभद्रजी का मंदिर । ॥ संवत १८४८ वर्षे मार्गशिर यदि ५ सोमवासरे श्री पाडली वास्तव्य श्री सकल संघ समुदायेन श्री स्थूलभद्र स्वामीजी प्रसादस्य कारापितं कार्य्यं स्याग्रेस्वरी श्री तपा गच्छीय आईः श्री लोढा श्री गुलाबचन्दजी प्रतिष्ठि तंसकल सूरिभिः । ( 330 ) चरण पर । सं. १८४८ ॥ भाद्र सुदि ११ श्री संघेन । श्रुत केवल प्रीस्कूल भद्राचार्याणां देवग्रहं कारथित्वा तत्र तेषां चरण न्यासः कारितः प्रतिष्ठितं मी अमृतधर्मवाचनाचार्यैः"
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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