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________________ (20) (316) । सं० १७८६ वर्षे आखोज सुदि ८ श्रीपासचन्द गच्छे ॥ श्री उपाध्याय प्रेमचन्द जीना पादुका (317 ) ॥ संघत १८१८ वर्षे श्री संभवनाथ जिनचरण कमल स्थापित साह माणिक चंदेन जीर्णोद्धार करापित ॥ ( 318 ) सं० १८२५ वर्षे माघ शु. ३ गुरी गोवर्द्धन सत सरुपचंदेन प्रति महि- - नाथ बिंध कारापित। ( 319 ) ॥ संवत् १८२९ श्री ५ पं० लालचन्दजी पादुकं ॥ मनसारामेन स्थापितं । सर्वत् १८२६ भी ५५० रुपचन्दजी पादुका । संवत् १८२६ श्री ५ श्री वा० भारमल्डजी। ( 320 ) ॥ शुभ संवत् १८७० वर्षे ॥ वैसाख शुक्ल पंचम्यां चंद्रवासरे श्री जिन कुशल सूरीश्वर सदगुरुणा चरण पादुका प्रतिष्ठिता भी महत्खरतर गच्छे भहारक श्री जिन अक्षय सूरि पहालंकृत श्री जिनचन्द्र सूरिभिः श्री मस्पाटलिपुर वास्तव्य । समस्त भी संधः प्रतिष्ठा कारापिता। पं । गषि श्री की[दयोपदेशात् ॥ श्री रस्तु। ( 321 ) सम्बत् ॥ १८०० वर्षे वैशाष गुरु पंचम्यां चन्द्र वासरे शी जिन कुगल सूरीश्वर बदगुरुषां चरण पादुका प्रतिष्ठिता महारक श्री जिन मानव पूरि हाकत भी गिन
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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