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________________ • २६ गुरुवर हमको मर्यादा का आधार चाहिए । आचार चाहिए, साकार चाहिए, उच्च सत्य विमल व्यवहार चाहिए, सुविचार चाहिए || सदा मर्यादा ही जीवन है, मर्यादा जीवन धन है, गण-वन मे इसका ही प्राकार चाहिए ॥१॥ मर्यादा चाहे छोटी, जीवन की सही कसौटी, सयम को सयम का व्यापार चाहिए ॥२॥ छूटे तो तन यह छूटे, सवमे ऐसे ऊडे शासन सम्बन्ध न टूटे, संस्कार चाहिए ||३|| छाए जो दाए बाए, तत्क्षण हम तोड गिरायें, न हमे दलवन्दी की दीवार चाहिए ॥४॥ ते जो बाह्य नियन्त्रण, उनको क्यो कभी अपने से ही अपना उद्धार लय- पानी श्राया पुला दे गुरु ] निमन्त्रण, चाहिए ||५|| नियमित गति हो न निरकुश, प्रेरक 'हय रस्सि गयकुस, डगमगती नैया को पतवार चाहिए ॥६॥ अपने सस्मरण सुनाए, ग्राह्लादित सव बन जाए, ऐसी घटनाओ का विस्तार चाहिए ॥७॥ [६१
SR No.010876
Book TitleShraddhey Ke Prati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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