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________________ देश ] ५ महावीर प्रभु के चरणो मे श्रद्धा के कुसुम चटाए हम । उनके आदर्शो को अपना जीवन की ज्योति जगाए हम ॥ तप नयममय शुभ साधन से, प्राराध्य-चरण श्राराधन से, वन मुक्त विकारों से महमा, अव ग्रात्म-विजय कर पाए हम ||१|| दृढ निष्ठा नियम निभाने मे, हो प्राण-प्रति प्रण पाने मे, मजबूत मनोवन हो ऐसा, वायरता कभी न लाए हम ||२|| या-लोलुपता, पद-लोलुपता, प्राणी न मताए कभी विकार-व्यथा, निधाम स्व-पर त्याण काम, जीवन अर्पण कर पाए हम ||३|| गुरुदेव रण में लीन है, निर्भीक धम की बाट बहे, अविचल दिन सत्य, श्रहिमान, दुनिया को सुपथ दिलाए हम ||४|| मंत्री म नियम प्रभिमान तजे, पनीरी सार बा , 'मी' तेरा पथ पाए हम ॥५॥ [e
SR No.010876
Book TitleShraddhey Ke Prati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year
Total Pages124
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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