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________________ .... दशम अध्याय ... धर्म-अधर्म, बन्ध-मोक्ष, आत्मा, महात्मा और परमात्मा प्रादि का मनन और चिन्तन आत्मा मन के माध्यम से ही किया करता है। मन प्रत्येक प्राणी के पास नहीं होता। एकेन्द्रियं, द्वीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों के पास मन नहीं होता है। वनस्पति कायिक, जल . कायिक, पृथ्वी कायिक आदि स्थावर प्राणी एकेन्द्रिय, जोंक, अलसिया आदि जीव द्वीन्द्रिय, चिउण्टी, लीख आदि, त्रीन्द्रिय, मक्खी, मच्छर आदि जीव चतुरिन्द्रिय कहे जाते हैं।एकेन्द्रिय जीव केवल स्पर्श-.. ...नेन्द्रिय वाला होता है। द्वीन्द्रियजीव,स्पर्शन और रसना इन दो इन्द्रि-.. . यों का धनी होता है। त्रीन्द्रिय जीव स्पर्शन,रसना और नाक ये तीनों - इन्द्रिये रखता है। और चतुरिन्द्रिय जीव के पास स्पर्शन, रसना, नाक . . और आँख ये चार इन्द्रियों होती हैं। जिन जीवों के पास स्पर्शन से श्रोत्र तक पांच इन्द्रियां होती हैं, वे पञ्चेन्द्रिय कहलाते हैं । पञ्चेन्द्रिय जीवों के पास ही मन होता है । मन के द्वारा ही इन में सोचने समझ· ने और विचारने की शक्ति होती है । मन इन्द्रियों का राजा माना . गया है। इसकी.महिमा शास्त्रों में बहुत गाई गई है। आत्मा के बन्ध __ और मोक्ष का उत्तरदायित्व मन पर ही है । ऐसे अनमोल धन मन को . · नष्ट कर देना कितना बड़ा अत्याचार है। . . . . . . . सातवीं प्राण शक्ति वचन है। इसके द्वारा बोला जाता है। आ- . त्मा के संकल्प-विकल्पों को इसी के द्वारा भाषा का मूर्त रूप मिलता . . है। इसके बिना जीवन गंगा होता है और स्पष्टता के साथ अपना ... प्राशय व्यक्त नहीं किया जा सकता। इसीलिए आत्म-जीवन में इस ... शक्ति का बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस शक्ति को प्रात्मा से अलग : कर देना पापों में एक बड़ा पाप है। . ... ... कायबल आठवीं प्राणशक्ति है। इस शक्ति का भी अपना अद्- .
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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