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________________ ८२२ प्रश्नों के उत्तर अक्षयतृतीया को उसका पारणा होता है, वर्षीतप का पारणा बड़े समारोह तथा ग्रामोद प्रमोद के साथ किया जाता है। .. . .. . महापर्व पर्यु पण · .. महापर्व पर्युषण एक अलौकिक पर्व है । यह पर्व हमारी संस्कृति, ... हमारी सभ्यता और हमारे धर्ममय जीवन के समुज्ज्वल सिद्धान्तों का पुण्य प्रतीक है। जैन धर्म का साँस्कृतिक और धार्मिक यह पर्व किस : कारण महान आदर तथा श्रद्धा का केन्द्र बन गया ? और इस के .. मनाने का उद्देश्य क्या है ? आदि प्रश्नों का समाधान पर्यु पण · शब्द की अर्थ-विचारणा से भली भांति प्राप्त हो जायगा। ... . . पर्यु पण* शब्द में परि उपसर्ग है, उप धातु और अनट् प्रत्यय है । परि का अर्थ है-चारों ओर से, हर प्रकार से । उप धातु जलाना, क्षय करना इस अर्थ का परिचायक है । तथा अनट् प्रत्यय । धातु से संज्ञा बनाने के अर्थ में प्रयुक्त होता है । भाव यह है कि जिस अनुष्ठान से कर्मों का सर्वतो-मुखी विनाश किया जाए, कर्ममल को ।। - हर तरह से जलाया जाए उस अनुष्ठान को पर्युपण कहते हैं। अथवा जिन दिनों में मनुष्य का प्रत्येक प्राचरण कर्मों के ईन्धन को . जलाने वाला हो, पात्मा को सोने की भांति कुन्दन बनाने वाला हो, उन दिनों को पर्युषण पर्व कहा जाता है। वस्त्रों को स्वच्छ ... बनाना, और उन का मल दूर कर देना जैसे धोबी का उद्देश्य .: होता है, वैसे ही आत्मा के दोपों, विकारों तथा कुसंस्कारों के : .. मल को विनष्ट कर देना ही पर्युषण पर्व का प्रधान लक्ष्य होता है। . ..... आत्मशुद्धि के अनुष्ठानों को यू तो जीवन में सदैव लाया . . - जा सकता है, पर हमारे प्राचार्यों से विशेष रूप से कुछ दिन ऐसे . : निश्चित कर दिए गए हैं जिन में विशेष रूप से धर्माराधन किया । .: . के परि सनन्तात् ओषति दहति समूलं कर्मजालं यत् तत् पर्यु पणम् । ....
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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