SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ nnnnnnnnnnnnnarar प्रश्नों के उत्तर आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ चरकसंहिता के पांचवें अध्याय में लिखा है कि मांस मनुष्य के पेट में शीघ्र नहीं पचता, अत: वह मनुष्य का ... भोजन नहीं है। डाक्टर एल्फेड साहिब ने लन्दन के डाक्टरों की सभा में अपना निबंध पढ़ते हुए कहा था कि मांस.८० से ९० प्रतिशत रोगों के कीड़ों से भरा रहता है। .. .. . .. ..... . डाक्टर फोर्ड एम. डी. कहते हैं कि मटर, चना, आदि अन्नों में २३ से ३० प्रतिशत तक नाइट्रोजन होता है और ५५ से ५८ प्रतिशत तक नशास्ता और तीन प्रतिशत के लगभग नमक वाले पदार्थ होते हैं. .. किन्तु मांस में नाइट्रोजन केवल ८ से ९ प्रतिशत होता है और नशा-.. :स्ता तो न होने के समान ही है । इस आधार पर उनका कहना है कि । . मांस का आहार मनुष्य के लिए लाभकारो नहीं हो सकता। . . ... . फ्रांस के कैंसर विशेषज्ञ डाक्टर लिबसन का कहना है कि "जा.. नवर जो भी पदार्थ खाते हैं, उसका पाचन होने के वाद उक्त तत्त्व का कुछ अंश जानवर के शरीर में विष के रूप में रह जाता है । यह अंश : धीरे-धीरे शरीर से पसीना या अन्य किसी रूप में बाहर जाता रहता है। यदि हम किसी जानवर को मार देते हैं, तो उस पशु की शरीर संचालन क्रिया बंद हो जाती है । इससे उसके शरीर में से विष बाहर .. नहीं जाने पाता और वह मांस और पेशियों में चला जाता है और यही कारण है कि मांसाहारी देखने में बलवान होने पर भी भीतर से । कमजोर रहता है ।* .... जिन देशों में मांसाहार का अधिक प्रचार है, वहां. स्वभावतः रोग भी अधिक होते हैं। जहां रोगों की अधिकता होती है, वहां वैद्यों . . * श्रमण वर्ष ९,अक २,१०.३३ ।। .... . .....
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy